कोठवाल : मेरी याचिका पर कल सुनवाई की जाए, क्योंकि इसमें नियमों का पालन किया गया है।
CJ : हम आपकी मदद नहीं कर सकते, हमने आपको पहले ही एक मौका दिया है। आदेश पारित किया गया है।
एक वकील ने पार्टियों के बीच मध्यस्थता का अनुरोध किया।
CJ : इसके लिए सहमत पक्षों के बीच मध्यस्थता की जा सकती है। आप किस मामले में पेश हो रहे हैं। संवैधानिक मुद्दे शामिल हैं। हमें इसका जवाब देना होगा। इस तरह से मध्यस्थता नहीं की जा सकती। यह केवल सहमति देने वाले पक्षों के बीच ही किया जा सकता है। अगर वे सभी सहमत हैं तो हम आपके अनुरोध पर विचार करेंगे।
इसके बाद ही हाईकोर्ट ने आज की सुनवाई खत्म कर दी। शुक्रवार दोपहर 2:30 बजे फिर मामले की सुनवाई होगी। कल महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी अपनी दलीलें पेश कर सकते हैं।
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Hijab Row Live Updates : दो याचिकाएं खारिज, चीफ जस्टिस ने कहा हस्तक्षेपकर्ताओं को अनुमति नहीं, कल फिर सुनवाई

Hijab row High court hearing : हिजाब को लेकर उठे विवाद के बीच कर्नाटक हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई आज भी जारी है। चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच के सामने मुस्लिम छात्राओं के वकील दलीलें पेश कर रहे हैं। चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की पीठ ने पिछले गुरुवार को मामले की सुनवाई शुरू की थी।
कल दोपहर 2:30 बजे फिर सुनवाई, महाधिवक्ता रखेंगे दलीलें
यह पहला मौका नहीं जब, हिजाब और दाढ़ी जैसे मुद्दो पर अदालतें बैठीं : सुभाष झा
महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने शुक्रवार को राज्य के लिए बहस करने की अनुमति देने का अनुरोध किया। प्रतिवादी कॉलेजों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने कहा कि वह महाधिवक्ता के बाद बहस करेंगे।
इसके बाद अधिवक्ता सुभाष झा ने अपने आवेदन पर सुनवाई का निवेदन किया। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब देश में हिजाब और दाढ़ी बढ़ाने के मुद्दे को सुलझाने के लिए अदालतें बुलाई गई हैं।
बॉम्बे और केरल हाईकोर्ट ने माना है कि यह इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। यह उठाए गए सभी मुद्दों का जवाब है। मुझे बोलने का मौका दें।
CJ : अभी हम किसी भी हस्तक्षेपकर्ता को अनुमति नहीं दे रहे हैं। याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों को सुनने के बाद हम तय करेंगे कि हस्तक्षेप करने वालों को अनुमति दी जाए या नहीं।
पूरा विवरण न होने पर याचिका खारिज
जस्टिस दीक्षित : हमारे रिट याचिका नियम नागरिक प्रक्रिया संहिता के नियमों के तहत हैं। आपने इनका अनुपालन नहीं किया है। आपके याचिकाकर्ता किस संस्थान में पढ़ रहे हैं, उन्हें स्कूल जाने से कैसे रोका गया है? क्या आपने इसे अपनी याचिका में बताया है?
CJ : आपने अपनी याचिका में यह नहीं कहा है। आपको बताना होगा कि आपका बिंदु क्या है। याचिका में कार्रवाई के कारण के बारे में आवश्यक विवरण नहीं दिया गया है। इसके बाद कोर्ट ने नए सिरे से दायर करने की स्वतंत्रता के साथ रिट याचिका वापस कर दी।
हिजाब पर प्रतिबंध कुरान पर प्रतिबंध के समान है : वकील
कुलकर्णी : हिजाब पर प्रतिबंध कुरान पर प्रतिबंध के समान है।
CJ : आपके लिए हिजाब और कुरान एक ही चीज हैं।
कुलकर्णी : मेरे लिए नहीं। पूरी दुनिया के लिए। मैं एक भक्त ब्राह्मण हिंदू हूं। कुरान दुनिया भर में पूरे मुस्लिम समुदाय पर लागू होता है।
CJ : हिजाब पर कोई बैन नहीं।
कुलकर्णी : लेकिन अगर अदालत हिजाब की अनुमति नहीं देती है, तो यह कुरान पर प्रतिबंध लगाने के समान हो सकता है, अनावश्यक मुद्दे पैदा कर सकता है। कृपया आज अंतरिम आदेश पारित करें। यह बहुत सारी अशांति को रोकेगा।
इसके बाद सीनियर एडवोकेट एएम डार ने बहस शुरू की।
उन्होंने कहा कि यह (GO) सरकारी आदेश असंवैधानिक और अवैध है। हमें तंजानिया या लंदन से निर्णय की आवश्यकता नहीं है। जब संविधान अस्तित्व में आया तो 1960 तक कोई समस्या नहीं थी।
हमें भारत के संविधान के मापदंडों के आलोक में आदेश का विश्लेषण करना चाहिए।
CJ: पहले हम आपके बिंदु को समझें।
डार : यह कोई जनहित याचिका नहीं है। यह कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं का माला है जो सरकारी आदेश से प्रभावित हो रही हैं।
कुरान का हवाला देने पर CJ ने पूछा- क्या आप बता सकते हैं यह कहां लिखा है
कुलकर्णी : यह व्यक्तियों के मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा है, और कुरान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हिजाब सार्वजनिक व्यवस्था या स्वास्थ्य या नैतिकता के खिलाफ नहीं है। उसके बारे में बहुत कहा जा चुका है, मैं इस पर ध्यान नहीं दूंगा। पवित्र कुरान कहता है कि मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनना चाहिए और अपने शरीर के अंगों जैसे सिर, गर्दन आदि को उजागर नहीं करना चाहिए।
CJ : क्या आप बता सकते हैं कि कुरान में यह कहां कहा गया है? जब तक आप इसकी पुष्टि नहीं करेंगे, हम इसे कैसे स्वीकार कर सकते हैं।
कुलकर्णी : अभी मेरे पास कुरान नहीं है। मैं इसे बाद में दिखा सकता हूं।
CJ : जब तक आप इसे नहीं दिखाते हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते।
कुलकर्णी ने कहा- आज ही हिजाब पहनने का आदेश दें
चीफ जस्टिस : आप किस तरह की राहत मांग रहे हैं।
कुलकर्णी : मैं चाहता हूं कि शुक्रवार को हिजाब पहनने के लिए आज ही आदेश पारित करें, क्योंकि यह मुसलमानों के लिए शुभ दिन है। और आने वाले रमजान में भी हिजाब पहनने का आदेश दें।
CJ : कृपया अपनी याचिका पढ़ें। आपकी मांग है उन्हें यूनिफॉर्म पहनने का निर्देश दें। आपकी प्रार्थनाएं विरोधाभासी हैं।
कुलकर्णी : अगली मांग में उन्हें हिजाब पहनने की अनुमति देना है। लता मंगेशकर का गीत गाते हैं ... कुछ पकार कुछ खोना है कुछ खोकर कुछ पाना है... कुछ और पाने के लिए हमें कुछ खोना पड़ता है।
कोर्ट ने कहा- याचिका PIL के नियमों के मुताबिक नहीं
कोठवाल की आपत्ति : पहली बार मेरी जनहित याचिका को रखरखाव पर खारिज कर दिया गया है। मैंने नियमों का पालन किया है।
डॉ. विनोद कुलकर्णी, ने अपना पक्ष रखा। कहा- यह हिजाब मुद्दा जन उन्माद पैदा कर रहा है और विशेष रूप से गरीब मुस्लिम लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ रहा है।
कोर्ट ने फिर आपत्ति जताई, कहा याचिका पीआईएल के नियमों के मुताबिक नहीं है।
कोर्ट ने खारिज की कोठवाल की याचिका
CJ सीजे अवस्थी : आप हमारे तंत्र का परीक्षण कर रहे हैं। हम जुर्माने के साथ याचिका खारिज करेंगे
कोठवाल : मैं अदालत से अनुरोध करता हूं कि तकनीकी में न पड़ें। मैं दो से तीन मिनट में अपनी बात समाप्त करूंगा।
कोर्ट : कर्नाटक जनहित याचिका नियम 2018 के तहत जनहित याचिका दायर करने के निर्देश दिए गए हैं। जनहित याचिका दायर करने के लिए इन्हें पूरा करना आवश्यक है। इसका पालन किए बिना ही यह जनहित याचिका दायर की गई है। इसे खारिज किया जाता है।
हम आपकी याचिका खारिज कर देंगे : CJ
कोठवाल : इस मामले में मेरी निजी दिलचस्पी नहीं है।
बेंच : क्या आप जनहित याचिका के नियमों से अवगत हैं?
इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता से जनहित याचिका पर नियमों का अनुपालन दिखाने को कहा।
जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित : आप इतने महत्वपूर्ण और गंभीर मामले में कोर्ट का समय बर्बाद कर रहे हैं, पेजिनेशन ठीक नहीं है। आप जो समय बर्बाद कर रहे हैं उसे आपके मित्र इस्तेमाल कर सकते हैं।
चीफ जस्टिस अवस्थी : विचारणीय नहीं होने के कारण हम इस याचिका को खारिज कर देंगे।
कोठवाल : मेरी निर्देशों के अनुसार सब कुछ सही से किया गया है। शायद कुछ पेजिनेशन में गलती हो गई।
कोर्ट का कोठवाल का सवाल, आप हैं कौन, आपको बहस की अनुमति नहीं
कोठवाल : मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं। मैं इस अदालत की मदद करना चाहता हूं। मैंने पहले भी कई जनहित याचिकाओं में इस कोर्ट की सहायता की है, जिनमें COVID 19 से संबंधित याचिकाएं भी शामिल हैं।बेंच : आपको इस तरह बहस करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। आप हैं कौन?
क्या आप कोर्ट को भी सुनेंगे, पहले आप बताएं आप कौन हैं : चीफ जस्टिस
कोठवाल ने महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन का भी उल्लेख किया और कहा कि 1993 में भारत द्वारा इसकी पुष्टि की गई है।
उन्होंने कहा - मेरा निवेदन यह है कि राज्य की कार्रवाई भारत द्वारा अनुसमर्थित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुरूप नहीं है।
चीफ जस्टिस: क्या आप कोर्ट की भी सुनेंगे? पहले अपने बारे में बताएं, आप कौन हैं।
धर्म या विश्वास बदलने की स्वतंत्रता का जिक्र
रहमतउल्लाह ने कहा कि अनुच्छेद 51 (सी) एक दूसरे के साथ संगठित लोगों के व्यवहार में अंतरराष्ट्रीय कानून और संधि दायित्वों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने के लिए एक मौलिक कर्तव्य है।
अनुच्छेद 18 का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि हर किसी को विचार, अंतरात्मा और धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार है। इस अधिकार में अपने धर्म या विश्वास को बदलने की स्वतंत्रता और अकेले या दूसरों के साथ समुदाय में और सार्वजनिक रूप से स्वतंत्रता शामिल है।
रहमतउल्ला कोठवाल ने किया अनुच्छेद 51 (C) का जिक्र
चीफ जस्टिस ने कहा- आपने 300 रुपए की कोर्ट फीस का भुगतान नहीं किया है। कार्यालय की आपत्तियां भी हैं। कल तक आपत्तियों को ठीक कर लें, और फिर हम आपको सुनेंगे। हम आपको कल सुनेंगे। इसके बाद अधिवक्ता रहमतउल्ला कोठवाल ने बहस शुरू की। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 51 (सी) का जिक्र किया।
एक और याचिका पर नाराज हुए चीफ जस्टिस
सुनवाई शुरू होते ही एडवोकेट शादान फरासत ने बेंच के सामने कहा कि इस मामले को लेकर नई याचिका दायर की गई है। इस पर महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी का कहना है कि कार्रवाई का कोई नया कारण नहीं है। अगर हर कोई फाइल करता रहेगा तो, तो हम कब तक जवाब देते रहेंगे।
इस पर चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी ने कहा -हम हस्तक्षेप की इस अवधारणा को समझने में विफल हैं। हम याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों को सुनेंगे और अगर हमें लगता है कि इसकी आवश्यकता है, तो हम आपकी सहायता लेंगे। कृपया कोई हस्तक्षेप नहीं करें। चार याचिकाएं दाखिल और चार दिन से दलीलें चल रही हैं। इसके लिए स्पेशल बेंच का गठन किया गया है। आप लोगों को कितने दिन चाहिए?अवस्थी।