मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुंबई में बीकेसी जंबो COVID19 अस्पताल में टीकाकरण केंद्र का उद्घाटन किया।
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| Published : Jan 16 2021, 07:26 AM IST / Updated: Jan 16 2021, 02:39 PM IST
Live: एम्स नागपुर में वैक्सीन लगवाने के लिए डॉक्टर्स की लाइन, मुंबई में सीएम उद्धव ठाकरे पहुंचे वैक्सीन सेंटर
देश में कोरोना के अंत की शुरुआत हो चुकी है। 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 3006 साइट्स पर एक साथ वैक्सीनेशन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। पहले फेज में हेल्थवर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण होगा। पहले दिन हर साइट पर कम से कम 100 लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी। पहले चरण में लगाए जा रही वैक्सीन मुफ्त है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था, केंद्र 3 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का खर्च देगी। भारत में वायरस से अब तक एक करोड़ 5.27 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और 1.52 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।
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AIMIM अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी टीकाकरण अभियान के दौरान हैदराबाद के उस्मानिया जनरल हॉस्पिटल पहुंचे। कई AIMIM विधायकों ने भी अलग-अलग हॉस्पिटल पहुंच टीकाकरण का जायजा लिया।
देश में कोरोना वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू हो चुका है। एम्स में सफाई कर्मचारी मनीष कुमार को पहली वैक्सीन लगी। वैक्सीन लगवाने के बाद आधे घंटे तक उन्हें वेटिंग रूम में रखा गया। मनीष ने कहा कि वैक्सीन लगवाने के बाद मेरे मन में जो डर था वह निकल गया। लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। वैक्सीन सबको लगवानी चाहिए।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा, लोगों की सुरक्षा हमेशा सर्वोपरि रही है। कोवैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण जारी हैं। परिणाम देखने के बाद ही विशेषज्ञों ने अनुमति दी है। किसी डर की कोई जरूरत नहीं है। हमें बिल्कुल निडर रहना होगा और इस टीके की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी और धैर्य भी रखना होगा। हालांकि दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML Hosptial) के रेजिडेंट डॉक्टरों ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को पत्र लिखकर 'कोवैक्सीन' की बजाय 'कोविशील्ड' का टीका लगाने की मांग की है।
सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कोरोना की वैक्सीन लगवाई।
भूटान के प्रधानमंत्री ने कोरोनो वैक्सीन अभियान के शुरू होने पर पीएम नरेंद्र मोदी को बधाई दी है। पीएम ने कहा, मैं आज देशव्यापी COVID-19 टीकाकरण अभियान के ऐतिहासिक लॉन्च के लिए पीएम मोदी और भारत के लोगों को बधाई देना चाहूंगा।
बेंगलुरु ने सीएम येदियुरप्पा की मौजूदगी में एक नर्स को पहली कोरोना वैक्सीन लगाई गई।
साकेत के मैक्स हॉस्पिटल में वैक्सीन लगवाने के बाद डॉक्टर संजय कुमार जायसवाल को Co-WIN प्लेटफॉर्म पर मैसेज आया कि बधाई। आपको कोविड 19 की खुराक दी जा चुकी है।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हमीदिया हॉस्पिटल में संजय यादव नाम के स्वास्थ्य कर्मचारी को पहला टीका लगा।
दिल्ली एम्स में मनीष कुमार नाम के एक सफाई कर्मचारी को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी गई। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन भी मौजूद रहे। सबने इस ऐतिहासिक मौके पर ताली बजाकर स्वागत किया।
एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने भी वैक्सीन लगवाई। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद के पॉल ने भी कोरोना वैक्सीन लगवाई। वैक्सीन लगवाने के पीछे एक बड़ी वजह है कि लोगों में वैक्सीन को लेकर भरोसा पैदा हो।
कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए दिल्ली एम्स में पहला टीका लगाया गया। टीका लगते ही वहां मौजूद नर्स और बाकी स्टॉफ ने तालियां बजाई। टीकाकरण के वक्त डॉक्टर हर्षवर्धन भी मौजूद थे।
"भारत ने इस महामारी से जिस प्रकार से मुकाबला किया उसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है। केंद्र और राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय, हर सरकारी संस्थान, सामाजिक संस्थाएं, कैसे एकजुट होकर बेहतर काम कर सकते हैं, ये उदाहरण भी भारत ने दुनिया के सामने रखा।"
"मुझे याद है, एक देश में जब भारतीयों को टेस्ट करने के लिए मशीनें कम पड़ रहीं थीं तो भारत ने पूरी लैब भेज दी थी ताकि वहां से भारत आ रहे लोगों को टेस्टिंग की दिक्कत ना हो।"
"ऐसे समय में जब कुछ देशों ने अपने नागरिकों को चीन में बढ़ते कोरोना के बीच छोड़ दिया था, तब भारत, चीन में फंसे हर भारतीय को वापस लेकर आया। और सिर्फ भारत के ही नहीं, हम कई दूसरे देशों के नागरिकों को भी वहां से वापस निकालकर लाए।"
"जनता कर्फ्यू, कोरोना के विरुद्ध हमारे समाज के संयम और अनुशासन का भी परीक्षण था, जिसमें हर देशवासी सफल हुआ। जनता कर्फ्यू ने देश को मनोवैज्ञानिक रूप से लॉकडाउन के लिए तैयार किया। हमने ताली-थाली और दीए जलाकर, देश के आत्मविश्वास को ऊंचा रखा।"
"17 जनवरी, 2020 वो तारीख थी, जब भारत ने अपनी पहली एडवायजरी जारी कर दी थी। भारत दुनिया के उन पहले देशों में से था जिसने अपने एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी।"
"हमने ताली-थाली और दिया जलाकर देश के आत्मविश्वास को ऊंचा किया। जिसे दुनिया नहीं भाप पाई उसे रोकने का सबसे प्रभावी तरीका था जो जहां है वह वहीं रहे। इसलिए लॉकडाउन किया गया। लॉकडाउन का फैसला करना बहुत मुश्किल था। इसका लोगों की रोजी रोटी पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इसका आकलन भी हमें था, लेकिन देश में जान है तो जहान है के मंत्र पर काम किया गया।"
टीकाकरण अभियान की शुरुआत करते हुए पीएम मोदी ने देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कोरोना काल को याद किया और बोलते-बोलते भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि कोरोना में बच्चों को मां से अलग कर दिया। मां चाह कर भी अपने बच्चे के पास नहीं जा पा रही थी। जो लोग चले गए उनको सम्मानजनक विदाई तक नहीं मिल पाई | कई योद्धा ऐसे रहे जो घर वापस ही नहीं लौट पाए।
"कोरोना से हमारी लड़ाई आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की रही है। इस मुश्किल लड़ाई से लड़ने के लिए हम अपने आत्मविश्वास को कमजोर नहीं पड़ने देंगे, ये प्रण हर भारतीय में दिखा। भारत के वैक्सीन वैज्ञानिक, हमारा मेडिकल सिस्टम भारत की प्रक्रिया की पूरे विश्व में बहुत विश्वसनीयता है। हमने ये विश्वास अपने ट्रैक रिकॉर्ड से हासिल किया है।"
"भारत का टीकाकरण अभियान बहुत ही मानवीय और महत्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित है। जिसे सबसे ज्यादा जरूरी है, उसे सबसे पहले कोरोना का टीका लगेगा। कोरोना वैक्सीन की 2 डोज लगनी बहुत जरूरी है। पहली और दूसरी डोज के बीच लगभग एक महीने का अंतराल भी रखा जाएगा। दूसरी डोज लगने के 2 हफ्ते बाद ही आपके शरीर में कोरोना के विरुद्ध जरूरी शक्ति विकसित हो पाएगी। भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है। ऐसा न करें कि पहली डोज लगवाने के बाद दूसरी डोज न लगवाए। भूल कर भी ऐसी गलती न करें।"
"आमतौर पर एक वैक्सीन बनाने में बरसों लग जाते हैं लेकिन इतने कम समय में एक नहीं दो मेड इन इंडिया वैक्सीन तैयार हुई हैं। कई और वैक्सीन पर भी तेज गति से काम चल रहा है, ये भारत के सामर्थ्य, वैज्ञानिक दक्षता और टैलेंट का जीता-जागता सबूत है।"
"इतिहास में इस प्रकार का और इतने बड़े स्तर का टीकाकरण अभियान पहले कभी नहीं चलाया गया है। दुनिया के 100 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या 3 करोड़ से कम है। और भारत वैक्सीनेशन के अपने पहले चरण में ही 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर रहा है।"