टनल के उत्तरी छोर पर पीएम मोदी। यहां पीएम मोदी ने हरी झंडी दिखाकर 15 बुजुर्ग यात्रियों को बस से रवाना किया। टनल में पहली यात्रा करने वाले यह विशिष्ट यात्री हैं। बस के जरिए 15 बुजुर्गों को उत्तरी छोर से दक्षिणी छोर की यात्रा कराई गई। बस में सफर करने वाले बुजुर्गों में अटल बिहारी वाजपेयी के दोस्त टशी दावा उर्फ अर्जुन गोपाल के पुत्र भी शामिल हैं। उनके अलावा तेंजिन दोर्जे, देवीचंद, नोरबू राम, रमेश कुमार और पमाराम, टशी फुंचोंग, रामलाल, दोर्जेराम, प्रेम लाल, भुमिचंद, अभयचंद, रामकृष्ण, रिगजिन आंगदुई और गोविंद भी बस यात्रियों में शामिल हैं।
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| Published : Oct 03 2020, 09:06 AM IST / Updated: Oct 03 2020, 12:50 PM IST
मोदी ने अटल टनल के उद्घाटन पर कहा, 26 साल का काम सिर्फ 6 साल में किया, देरी की वजह से बढ़ा खर्च
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9.02 किलोमीटर लंबी अटल टनल का उद्घाटन किया। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मौजूद रहे। 10 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी अटल टनल दुनिया की सबसे लंबी टनल है। 10 साल में बनी इस टनल की लंबाई 9.2 किलोमीटर है। इससे मनाली और लेह के बीच की दूरी 46 किलोमीटर तक कम हो जाएगी।
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अटल टनल का उत्तरी छोर, जिसे नॉर्थ पोर्टल कहते हैं। पीएम मोदी ने खुली जीप में टनल का अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। टनल के दूसरी छोर पर राजनाथ सिंह पहले से मौजूद थे। वह पीएम मोदी के स्वागत के लिए वहां पहले से ही मौजूद थे।
पीएम मोदी अपने काफिले के बाद खुली जीप में नॉर्थ पोर्टल की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। छोटी-छोटे अंतराल के बाद इस टनल में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, जिससे निगरानी की जाएगी।
टनल के उत्तर पोर्टल पर निर्माण कार्य के दौरान की तस्वीरों को देखते हुए पीएम मोदी।
टनल के अंदर गाड़ियों की स्पीड 40 किमी. प्रति घंटा तय की गई है। लेकिन अगर रफ्तार ज्यादा होती है तो 80 किमी. की रफ्तार से चल सकते हैं। एक अनुमान के मुताबिक, हर दिन डेढ़ हजार ट्रक और 3 हजार कारे इस टनल से होकर गुजरेंगी।
हिमाचल प्रदेश: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रोहतांग में अटल टनल के दक्षिण पोर्टल से लाहौल घाटी के सिसु में स्थित टनल के उत्तर पोर्टल तक जाते हुए।
देश में ही आधुनिक अस्त्र-शस्त्र बने, मेक इन इंडिया हथियार बनें, इसके लिए बड़े रिफॉर्म्स किए गए हैं। लंबे इंतज़ार के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अब हमारे सिस्टम का हिस्सा है। देश की सेनाओं की आवश्यकता अनुसार प्रोक्योरमेंट और प्रोडक्शन दोनों में बेहतर समन्वय स्थापित हुआ है।
अटल जी के साथ ही एक और पुल का नाम जुड़ा है- कोसी महासेतु का। बिहार में कोसी महासेतु का शिलान्यास भी अटल जी ने ही किया था। 2014 में सरकार में आने के बाद कोसी महासेतु का काम भी हमने तेज करवाया। कुछ दिन पहले ही कोसी महासेतु का भी लोकार्पण किया जा चुका है।
अटल टनल की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया। लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-45 साल तक बंद रही। क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था, मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता।
मैं ऐसे दर्जनों प्रोजेक्ट गिना सकता हूं जो सामरिक और सुविधा की दृष्टि से भले ही कितने महत्वपूर्ण रहे हों, लेकिन बरसों तक नजरअंदाज किए गए हैं। मुझे याद है कि करीब 2 साल पहले अटल जी के जन्मदिन के मौके पर असम में था। वहां पर भारत के सबसे लंबे रेल रोड ब्रिज को देश को समर्पित करने का अवसर मिला था। यह पुल आज नॉर्थ ईस्ट और अरुणांचल प्रदेश से कनेक्टिविटी का बहुत बड़ा माध्यम है।
कनेक्टिविटी का देश के विकास से सीधा संबंध होता है। ज्यादा से ज्यादा कनेक्टिविटी यानी उतना ही तेज विकास। खासकर बॉर्डर एरिया में तो कनेक्टिविटी सीधे-सीधे देश की रक्षा जरूरतों से जुड़ी होती है, लेकिन इसे लेकर जिस तरह की गंभीरता थी, आज उसकी आवश्यता है. जिस तरह की राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत थी दुर्भाग्य से वह नहीं दिखाई दी। अटल टनल की तरह ही अनेक प्रोजेक्ट के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया।
साल 2005 में आकलन किया गया था कि यह टनल साढ़े नौ सौ करोड़ रुपए में तैयार हो जाएगी। लेकिन लगातार होती देरी के कारण तीन गुना से भी ज्यादा यानी 32 सौ करोड़ रुपए खर्च करने के बाद तैयार हो पाई। कल्पना कीजिए की 20 साल और लग जाते तो क्या स्थिति होती?
अटल जी के जाने के बाद इस काम को भुला दिया गया। साल 2013 में सिर्फ डेढ़ किलोमीटर का काम ही हो सका। एक्सपर्ट ने बताया, जिस रफ्तार से काम हो रहा था उस रफ्तार से होता तो साल 2040 में टनल पूरी हो पाती। साल 2014 के बाद तेजी लाई गई। बीआरओ के सामने आने वाली दिक्कत को हल किया गया। हर साल पहले 300 मीटर सुरंह बन रही थी उसकी गति बढ़ाकर 1400 मीटर प्रति वर्ष कर दिया। सिर्फ 6 साल में हमने 26 साल का काम पूरा कर दिया।
अटल टनल भारत को बॉर्डर को भी नई ताकत देनी वाला है। यह विश्व स्तरीय बॉर्डर कनेक्टिविटी का जीता जागता उदाहरण है।
लेह-लद्दाख के किसानों के लिए भी अब देश की राजनाधी दिल्ली और दूसरे बाजार तक उनकी पहुंच आसान हो जाएगी। उनका जोखिम भी कम हो जाएगा।
मोदी ने कहा, उसी दौरान उनसे इस टनल को लेकर बात होती थी। वह सपना बन गया। आज उसे पूरा होते हुए देख रहे हैं। मैं द मेकिंग ऑफ अटल टनल फिल्म देखी। इस महायज्ञ में अपना पसीना बहाने वाले जवानों को, मजदूरों को सभी को आदर पूर्वक नमन करता हूं। अटल टनल हिमाचल प्रदेश के एक बड़े हिस्से के साथ ही नए केंद्र शासित प्रदेश की लाइफ लाइन बनने वाला है। सभी मायने में हिमाचल प्रदेश का यह क्षेत्र देश के बाकी हिस्सों से हमेशा जुड़े रहेंगे।
पीएम मोदी ने उद्घाटन के मौके पर कहा, आज का दिन बहुत ऐतिहासिक है। आज सिर्फ अटल जी का ही सपना नहीं पूरा हो रहा है। आज हिमाचल प्रदेश के करोड़ो लोगों का दशकों पुराना इंतजार खत्म हो रहा है। मेरा सौभाग्य कि आज मुझे अटल टनल के लोकार्पण का अवसर मिला है। मैं यहां संगठन का काम देखता है। यहां के पहाड़ों में उत्तम समय बिताता था। जब अटल जी मनाली में आकर रहते थे तो उनसे मिलता था।
अटल टनल के उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने टनल के अंदर विचरण किया। फिर हाथ उठाकर सबका अभिवादन किया।
टनल के उद्घाटन के मौके पर बीआरओ के डीजी ने कहा, अटल टनल के निर्माण से आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत हिमालय क्षेत्र में अन्य टनल निर्माण कार्य को बल मिलेगा। अब BRO का फोकस शिंकुला टनल पर है। मैं आश्वासन देना चाहता हूं कि BRO इस टनल को आने वाले 3 सालों में पूरा कर लेगा जिससे लेह के लिए हर मौसम में कनेक्टिविटी संभव हो जाएगी।
पीएम मोदी ने दुनिया की सबसे बड़ी सुरंग 'अटल टनल' का उद्घाटन किया। इससे मनाली से लेह जाने में अब 4 घंटे का समय बचेगा।