भारत के बुद्धिजीवीवर्ग ने इसे काफी हद तक स्पष्ट कर दिया है कि हिंदुत्व के खिलाफ लड़ाई में वे जिहादी कट्टरपंथियों का समर्थन करते रहेंगे। उन्होंने इस्लामी चरमपंथियों को अपना साथी मान लिया है। हाल ही में ऐसा फैज अहमद फैज की हालिया कविताओं में पाया। ऐसा सिर्फ इसलिए कि वे एक कवि हैं और लगता है कि वे इस्लामी अतिवाद को उचित नहीं मानते, जिसका प्रचार उनके शब्द करते हैं।