नई दिल्ली : पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय और मिजोरम में उपचुनाव के रिजल्ट आ गए हैं। पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने चारों सीटें जीत लीं। यानी यहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर लोगों ने फिर से भरोसा जताया। असम, मेघालय और मिजोरम में एनडीए के सहयोगी दल चुनाव जीते। अब तक का ट्रेंड रहा है कि पूरे उत्तर-पूर्व में लगभग एक जैसी सियासी हवा बहती है। ऐसे में इन राज्यों के नतीजे ने एक बार फिर साबित कर दिया। पिछले कुछ सालों से बीजेपी ने इस क्षेत्र में अपनी मजबूती लगातार बढ़ाई है।
असम
असम (Assam) की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के रिजल्ट का इंतजार है। इन पांचों सीटों पर 74.04 प्रतिशत मतदान हुआ है। गोसाईंगांव, भवानीपुर, तामुलपुर, मरियानी और थोवरा सीटों पर शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्ण मतदान हुआ था। चुनाव आयोग के अनुसार, भवानीपुर विधानसभा सीट पर 78 प्रतिशत, तमुलपुर सीट पर 67.88 प्रतिशत, गोसाईगांव सीट पर 77.37 प्रतिशत, थौरा सीट पर 77.56 प्रतिशत और मरियानी सीट पर 71.70 प्रतिशत मतदान हुआ। पांच सीटों पर 31 उम्मीदवार और करीब 7.96 लाख मतदाता रजिस्टर्ड थे। गुसाईंगांव और तामुलपुर के विधायकों के निधन के बाद वहां उपचुनाव की जरूरत पड़ी, वहीं भवानीपुर, मरियानी और थोवरा के विधायकों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के लिए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
कौन पार्टी कहां से चुनाव में उतरी
इन उपचुनावों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और अन्य दो सीटों पर यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (UPPL) के उम्मीदवार मैदान में थे। कांग्रेस (congress) ने सभी पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जबकि उसके पूर्व सहयोगी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (BPF) ने क्रमश: दो और एक सीटों पर चुनाव लड़ा था।
सीएम हिमंता की पहली परीक्षा
असम में सबसे अधिक 5 सीट पर विधानसभा चुनाव हुए। इस साल विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने सर्बानंद सोनवाल (Sarbananda Sonowal) की जगह हिमंता बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन पिछले कुछ महीने से राज्य में कई मुद्दों पर तेज राजनीति और विवाद हुआ है। ऐसे में उपचुनाव के परिणाम को हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) के लिए एक तरह से उनकी संक्षिप्त कामकाज की शैली पर ओपिनियन पोल माना जाएगा। उधर AIUDF से गठबंधन तोड़ने के बाद इस बात का भी इंतजार रहेगा कि कांग्रेस कितनी वापसी कर पाती है। वहां कांग्रेस ने इस बार गठबंधन में नए प्रयाग किए हैं।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल (West Bengal) की चार विधानसभा सीटों दिनहाटा, शांतिपुर, खड़दह और गोसाबा पर उपचुनाव हुए। तृणमूल कांग्रेस (TMC), भाजपा, वाम मोर्चा और कांग्रेस, सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। खड़दह में राज्य के मंत्री और तृणमूल के कद्दावर नेता शोभनदेव चट्टोपाध्याय की सियासी किस्मत का फैसला होना है।
बंगाल में बीजेपी के लिए मौका
पश्चिम बंगाल में 4 विधानसभा सीटों के उपचुनाव हुए हैं। नतीजे बताएंगे कि राज्य पर टीएमसी की पकड़ मजबूत होती जा रही है या बीजेपी के पांव अभी पूरी तरह उखड़े नहीं हैं। बीजेपी अपनी स्थिति और मजबूत कर यह संदेश देना चाहेगी कि अभी वह राज्य में बड़ी ताकत है। मई महीने में सत्ता में वापसी के बाद टीमएसी ने बीजेपी को कमजोर करने की पूरी कोशिश की है। अगर उपचुनाव में भी बीजेपी का कमजोर प्रदर्शन बरकरार रहा तो पार्टी में और भगदड़ मच सकती है। अगर टीएमसी अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाई तो बीजेपी को पलटवार करने का मौका मिल सकता है।
मेघालय
मेघालय (Meghalaya)तीनों सीटों पर मौजूदा विधायकों के निधन के बाद उपचुनाव कराने की आवश्यकता पड़ी। इन सीटों पर उपचुनाव के लिए कुल 13 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाया। मावरेंगकेंग और राजबाला सीटों पर पांच-पांच उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। जबकि मावफलांग सीट पर तीन प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। उपचुनावों में एक लाख से अधिक मतदाताओं ने इन प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला किया। अब कुछ ही घंटों बाद नतीजे सामने आ जाएंगे और तस्वीर साफ हो जाएगी कि आखिरकार जनता ने किसे सिरमौर बनाया है।
मिजोरम
मिजोरम (Mizoram) के कोलासिब जिले के तुइरियाल विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुए हैं। यहां सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट ने के. लालदावंगलियाना को मैदान में उतारा, जबकि जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) के लालतलनमाविया, कांग्रेस के चालरोसंगा राल्ते और भारतीय जनता पार्टी के के. लालदिंथरा भी चुनावी मैदान में थे। इनमें से किसकी किस्मत चमकेगी यह आने वाले दो से तीन घंटों में पता चल जाएगा। ZPM के मौजूदा विधायक एंड्रयू एच थंगलियाना के निधन के बाद उपचुनाव जरूरी हो गया था।
नागालैंड
नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) के उम्मीदवार एस केशू यिमचुंगर को 13 अक्टूबर को शामटोर-चेसोर निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था। NDPP भाजपा और नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के साथ गठबंधन में नागालैंड पर शासन करता है। तीन साल विपक्ष में रहने के बाद सरकार में शामिल हुए। यिमचुंगर उपचुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने वाले एकमात्र उम्मीदवार थे और 13 अक्टूबर को उम्मीदवारी वापस लेने के आखिरी घंटे के बाद विजेता घोषित किए गए थे। NDPP की 60 सदस्यों की कुल संख्या अब 21 है, जबकि NPF में 25 विधायक हैं और भाजपा के पास 12 हैं। सदन में दो निर्दलीय विधायक हैं। बता दें कि इस साल जुलाई में NDPP के तत्कालीन विधायक तोशी वुंगटुंग के निधन के कारण नागालैंड विधानसभा की शामतोर-चेसोर सीट पर उपचुनाव कराया गया था।