Interesting facts of Mahabharata: महाभारत में राजा धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों का वर्णन मिलता है। इनमें दुर्योधन और दु:शासन भी शामिल थे। महाभारत में इन 100 पुत्रों के नाम भी मिलते हैं। इन 100 पुत्रों के अलावा धृतराष्ट्र की एक पुत्री भी थी।
Mahabharata Facts: महाभारत हिंदुओं का एक बहुत ही पवित्र ग्रंथ हैं। इसे पांचवां वेद भी कहा जाता है। इस ग्रंथ के अंतर्गत ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को निमित्त बनाकर मानव मात्र को गीता का उपदेश दिया था। इसमें कई रोचक बातें भी हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं।
Mahabharata: महाभारत युद्ध में कौरवों और पाडंवों के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में पांडवों ने राजा धृतराष्ट्र के 100 पुत्रों का वध कर दिया। लेकिन एक पुत्र को जीवित छोड़ दिया। धृतराष्ट्र का वो पुत्र कौन-था, इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं।
Mahabharata: महाभारत में अनेक पराक्रमी योद्धाओं का वर्णन है, इनमें से कई योद्धाओं के पास देवताओं का वरदान भी था। ऐसा ही एक योद्धा था जयद्रथ। यही वो योद्धा था, जिसके कारण चक्रव्यूह में फंसकर अभिमन्यु की मृत्यु हुई।
interesting facts of Mahabharata: महाभारत में कई पराक्रमी योद्धाओं का वर्णन है, कीचक भी इनमें से एक था। कीचक विराट नगर के राजा विराट का साला और सेनापति था। उससे डरकर आस-पास के कई राज्य विराट नगर पर हमला करने से घबराते थे।
Mahabharata: महाभारत का युद्ध कुल 18 दिन तक चला। इस दौरान कौरव सेना के कई सेनापति बने, लेकिन पांडवों की ओर से सिर्फ एक सेनापति युद्ध की शुरूआत से अंत तक रहा। ये सेनापति कोई और नहीं बल्कि द्रौपदी का भाई था।
Mahabharata: महाभारत हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक है। इसे पांचवां वेद भी कहा जाता है। इसकी रचना महर्षि वेदव्यास ने की है और लेखन स्वयं भगवान श्रीगणेश ने। इस ग्रंथ में कई रोचक और प्रेरणादाई बातों का सार है।
महाभारत (Mahabharata) में कई पराक्रमी राजाओं का वर्णन मिलता है। इनमें से कई राजा तो ऐसे थे जिनका मुकाबला करना ही मुश्किल था क्योंकि उन्हें ऐसे वरदान प्राप्त थे, जिसके कारण उन्हें कोई हरा नहीं सकता है। ऐसा ही एक पराक्रमी राजा था जरासंध (Jarasandha)।
महाभारत (Mahabharata) की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। महाभारत में कई महत्वपूर्ण पात्र हैं जिनके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। एकलव्य (Eklavya) भी उन्हीं में से एक है। ये बात तो सभी जानते हैं कि एकलव्य निषाद जाति था इसलिए द्रोणाचार्य ने उसे अपना शिष्य नहीं बनाया।
महाभारत (Mahabharata) के अनुसार, जब धरती पर अधर्म बढ़ने लगा तब सभी देवताओं ने धरती पर मनुष्य रूप में जन्म लिया और कुरुक्षेत्र के मैदान में असुरी शक्तियों का अंत किया। इस युद्ध में कई वीरों ने बलिदान दिया। उन्हीं में से एक वीर अभिमन्यु (Abhimanyu) थे। ये अर्जुन (Arjuna) और सुभद्रा के पुत्र थे और श्रीकृष्ण (Sri Krishna) के भांजे भी।