Makar Sankranti Upay: जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है। इस दिन सूर्यदेव से संबंधित कुछ खास उपाय करने से आने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है।
Makar Sankranti 2024 Kab Hai: मकर संक्रांति हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये पर्व हर साल जनवरी मास में मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर्व सूर्य के मकर राशि में आने पर मनाया जाता है।
Makar Sankranti 2024 Kab Hai: मकर संक्रांति हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तो ये पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा का विधान है। देश में ये त्योहार अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।
Makar Sankranti 2024 Date: आमतौर पर मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन इस बार इस पर्व की डेट को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति बन रही है। ऐसी स्थिति क्यों बन रही है, जानिए इसका कारण।
Makar Sankranti 2024 Kab Hai: हमारे देश में कईं रहस्यमयी किले हैं, पन्ना जिले का अजयगढ़ किला भी इनमें से एक है। इस किले से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं। दूर-दूर से लोग इस किले को देखने आते हैं।
Vrishabha Sankranti 2023: 15 मई को सूर्य राशि बदलकर मेष से वृषभ में प्रवेश करेगा। सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश करने से ये वृषभ संक्रांति कहलाएगी। धर्म ग्रंथों में इसे पर्व कहा गया है। शुभ फल पाने के लिए इस दिन कुछ खास उपाय करने चाहिए।
Meen Sankranti 2023: इस बार सूर्य 15 मार्च को मीन राशि में प्रवेश करेगा। इसलिए इस दिन मीन संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन से खर मास का आरंभ भी होगा, जो 14 अप्रैल तक रहेगा। मीन संक्रांति पर कुछ खास काम करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
Kumbh Sankranti 2023: 13 फरवरी, सोमवार को सूर्य मकर से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। इसे कुंभ संक्रांति कहा जाएगा। ये दिन सूर्यदेव की पूजा और स्नान-दान के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं।
Makar Sankranti 2023: इस बार मकर संक्रांति पर्व 15 जनवरी, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन एक साथ कई शुभ योग बन रहे हैं, पिछले कई सौ सालों से ऐसी स्थिति नहीं बनी, इसलिए ये दुर्लभ संयोग कहा जाएगा।
Makar Sankranti 2023: मकर संक्रांति पर भगवान सूर्यदेव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए अनेक मंत्रों व स्तुतियों की रचना की गई है। आदित्य ह्रदय स्त्रोत भी इनमें से एक है। इस स्त्रोत का वर्णन रामायण में भी है।