16 मार्च से 12 से 14 साल के बच्चों को भी कोरोना का टीका लगाया जाएगा। इसके साथ ही 60 साल से अधिक उम्र के सभी लोग अब प्रिकॉशन डोज लगवा पाएंगे।
राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह टीकाकरण ( NTAGI) के पूर्व सदस्य डॉ जैकब पुलियेल ने अर्जी दायर की है। दिल्ली, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में तो उसे अनिवार्य ही बना दिया गया है।
इससे पहले कहा जा रहा था कि देश में जल्द ही 12 से 14 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन होगा। लेकिन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रायलय ने इसे खारिज कर दिया है। बता दें कि 3 जनवरी से बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हो गया है। देश में 15-18 आयु वर्ग के 8 करोड़ बच्चे हैं।
12 - 14 years children Vaccination : देश में 15 से 17 उम्र के 3.5 करोड़ बच्चों का वैक्सीनेशन हो चुका है। बुजुर्गों और फ्रंटलाइनर्स को बूस्टर डोज भी दी जा रही है। अब मार्च में 12 से 14 उम्र के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हो सकता है।
केन्द्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट करते हुए कहा- आज विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान को 1 वर्ष पूर्ण हो गया है। पीएम के नेतृत्व में शुरू हुआ यह अभियान 'सबके प्रयास' के साथ आज दुनिया का सबसे सफल टीकाकरण अभियान है।
राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत हमने सिर्फ़ छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया है, जो कि देश की आबादी का बहुत छोटा हिस्सा ही है। लेकिन पहली बार देश में सभी आयुवर्ग के लोगों का वैक्सीनेशन एक साथ हो रहा है।
लक्षद्वीप के एडमिनिस्ट्रेटर ने तीन जनवरी को बच्चों के वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत की थी। लक्ष्यदीप के कलेक्टर और सचिव द्वारा जारी लेटर के अनुसार, राज्य में 15 से 18 साल तक के 3492 बच्चों को वैक्सीन दी जा चुकी है।
कोविड-19 से बचने के लिए बच्चों को वैक्सीनेशन के बाद कुछ हल्के साइड इफेक्ट दिख सकते हैं। वैक्सीन लगने के बाद बुखार आना, टीका लगने वाले हाथ में दर्द या सूजन होना आम बात है। लेकिन इन बातों को नजरअंदाज ना करें।
कोवैक्सिन बनाने वाले भारत बायोटेक ने कहा है कि टीका देने के बाद बच्चों को पेन किलर्स (दर्द रोकने की दवा) और पैरासिटामॉल देने की जरूरत नहीं है। फिजिशियन की सलाह के बाद ही मेडिकेशन लिया जाना चाहिए।
सोमवार 3 जनवरी से देश में 15 से 17 उम्र वाले किशोरों का वैक्सीनेशन (Children Vaccination) शुरू हुआ। इसमें कई प्रदेशों ने तेजी दिखाई, जबकि कुछ प्रदेश पीछे रहे। इनमें सबसे पहला नाम पंजाब का आता है। यहां मंगलवार दोपहर तक बच्चों को सिर्फ 5 हजार टीके ही लग सके थे।