हर व्यक्ति अपना घर चलाने और परिवार का पालन-पोषण करने के लिए कुछ न कुछ काम जरूर करता है। कुछ लोग बड़े ओहदे पर रहकर काम करते हैं तो कुछ कर्मचारी बनकर।
महाभारत में अनेक पात्र हैं, जिन्होंने कदम-कदम पर धर्म का साथ दिया, महात्मा विदुर (Vidur Niti) भी इनमें से एक थे। महात्मा विदुर महान ज्ञाता और दूरदर्शी थे। वे पांडवों से बहुत प्रेम करते थे क्योंकि वे धर्म के मार्ग पर चलते थे।
महाभारत जीवन जीने की कला का ग्रंथ है। इसमें कई तरह का ज्ञान है। अलग-अलग पात्रों ने अपने-अपने हिसाब से परिस्थितियों का सामना करने की सीख दी है। इनमें से एक पात्र थे विदुर। उन्होंने भी अपने ज्ञान से कई लोगों को रास्ता दिखाया है। उनके इसी ज्ञान को अलग से विदुर नीति (Vidur Niti) के रूप में भी संग्रहित किया गया है।
महात्मा विदुर (Vidur Niti) हस्तिनापुर राज्य के महामंत्री थे। वे पांडु और धृतराष्ट्र के भाई भी थे, लेकिन दासी पुत्र होने के कारण उन्हें हस्तिनापुर का राजा नहीं बनाया गया। महत्मा विदुर हमेशा धृतराष्ट्र को अनेक उदाहरणों से सही राह दिखाने का प्रयास करते थे।
महाभारत में अनेक पात्र हैं। इन्हीं में से एक हैं महात्मा विदुर (Vidur Niti)। अंत तक इनका पांडवों पर स्नेह बना रहा। महात्मा विदुर हस्तिनापुर राज्य के महामंत्री थे। उन्होंने समय-समय पर पांडवों पर हो रहे अन्याय का प्रतिकार किया और अंत तक युद्ध रोकने का प्रयास किया। वे हमेशा धृतराष्ट्र को अनेक उदाहरणों से सही राह दिखाने का प्रयास करते थे।
महाभारत में शांति के सभी प्रयासों के विफल होने के बाद कौरव और पांडवों के बीच युद्ध शुरू होने वाला था। युद्ध के परिणाम को लेकर धृतराष्ट्र बहुत परेशान थे। तब उन्होंने अपने सलाहकार विदुर (Vidur Niti) को बुलाया और उनसे अच्छे-बुरे कर्मों का रहस्य पूछा था।
महाभारत के अनुसार महात्मा विदुर, पांडु और धृतराष्ट्र के भाई थे। इनके पिता ऋषि वेदव्यास थे। आज हम आपको महात्मा विदुर (Vidur) द्वारा बताए गए कुछ ऐसे लाइफ मैनेजमेंट टिप्स (Life Management) के बारे में बता रहे हैं जिनको जीवन में उतारने पर आपको हर क्षेत्र में सफलता (Success) मिल सकती है।
महाभारत काल में हस्तिनापुर के महामंत्री महात्मा विदुर (Vidur Niti) अपने धार्मिक निर्णयों के लिए जाने जाते थे। ये धृतराष्ट्र व पांडु की तरह ऋषि वेदव्यास के पुत्र थे परंतु इनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था, जिसके कारण सभी गुणों से परिपूर्ण होने पर भी ये राजा नहीं बन पाए। ये हस्तिनापुर के महामंत्री थे।
वैसे तो हिंदू धर्म में चार वेदों की ही मान्यता है, लेकिन कुछ विद्वानों में महाभारत को पांचवे वेद की संज्ञा दी है। महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जिसे यदि सही से समझा जाए तो यह जीवन में बड़ी सीख देता है। महाभारत में महात्मा विदुर (Vidur Niti) ने बहुत ही अहम भूमिका निभाई थी। वे कुशाग्र बुद्धि के होने के साथ अत्यंत दूरदर्शी थे।
महात्मा विदुर (Mahatma Vidur) अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के धनी होने के साथ बहुत दूरदर्शी भी थे। विदुर जी की बताई गई बातों का संकलन विदुर नीति (Vidur Niti) के रूप में किया गया है। इस ग्रंथ में विदुरजी द्वारा लाइफ मैनेजमेंट (Life Management) के अनेक सूत्र बताए गए हैं।