Somvati Amavasya 2024 Date: हिंदू धर्म में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन को स्नान-दान, पूजा और उपाय आदि के लिए सबसे श्रेष्ठ दिन माना जाता है। साल 2024 में पहला सोमवती अमावस्या का संयोग अप्रैल में बनेगा।
Mauni Amavasya 2023 Shubh Muhurat: इस बार 21 जनवरी को माघ मास की अमावस्या है। इसे मौनी अमावस्या कहते हैं। इस एकादशी का महत्व कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस मौके पर पवित्र नदियों के किनारे धार्मिक मेलों का आयोजन किया जाता है।
Sarva Pitru Amavasya 2022: 25 सितंबर, रविवार को आश्विन मास की अमावस्या है। धर्म ग्रंथों में इस तिथि का खास महत्व बताया गया है। ये श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन है। इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध एक साथ किया जा सकता है, इसलिए इसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहते हैं।
Bhadrapada Amavasya 2022: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते हैं। इस तिथि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस तिथि के स्वामी पितृदेवता हैं। यही कारण है इस दिन पितृ कर्म जैसे श्राद्ध, तर्पण आदि विशेष रूप से किए जाते हैं।
Hariyali Amavasya 2022: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस तिथि के देवता पितृ हैं। इसलिए ये तिथि पितृ कर्म जैसे श्राद्ध, तर्पण आदि के लिए बहुत शुभ मानी गई है। इस बार श्रावण मास की अमावस्या 28 जुलाई, गुरुवार को है।
इस बार ज्येष्ठ मास की अमावस्या 30 मई, सोमवार को है। सोमवार को अमावस्या होने से ये सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2022) कहलाएगी। हिंदू धर्म ग्रंथों में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि को पितरों की तिथि कहा जाता है यानी इस तिथि के स्वामी पितृ देवता होते हैं। आज यानी 2 मार्च, बुधवार को फाल्गुन मास की अमावस्या (Falgun Amavasya 2022) है।
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व बताया गया है। हर महीने के कृष्ण पक्ष के अंत में ये तिथि आती है। इस तरह साल में कुल 12 अमावस्या तिथि होती है, लेकिन कई बार तिथियों की घट-बढ़ के कारण इनकी संख्या बढ़ जाती है। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है।
हर महीने के कृष्ण पक्ष के अंत में अमावस्या तिथि आती है। हिंदू धर्म में इसे पितरों का दिन कहा जाता है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। इस बार अमावस्या तिथि 1 नहीं 2 दिन रहेगी।
जन्मकुंडली में शनि देव के विपरीत भाव में होने से जीवन में अनेक प्रकार की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याएं आती ही रहती हैं। विशेषतः शनि की साढ़ेसाती, ढय्या, महादशा में यह समस्याए अपने चरम बिंदु पर पहुच सकती है।