गुरुवार को प्रकाशित संशोधित आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष के पहले तीन महीनों में, यूरोज़ोन में आर्थिक उत्पादन पिछली तिमाही की तुलना में 0.1% गिरा। 2022 की चौथी तिमाही में भी उत्पादन 0.1% गिरा है।
आईएमएफ ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के आर्थिक विकास के अनुमान को भले ही 6.1 प्रतिशत से घटाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया है लेकिन वह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
मॉलपास ने प्रधानमंत्री से कहा कि भारत ने जिस तरह मजबूत आर्थिक विकास किया है उससे दुनिया को सीख लेने की आवश्यकता है।
दुनिया के प्रमुख देशों के अर्थव्यवस्थाओं के साथ तुलनात्मक मूल्यांकन में, भारत सबसे मजबूत स्थिति में है। इस संबंध में कुछ आंकड़े हैं: 2022 में भारत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि 7.4% थी, जबकि चीन ने 3.3%, यूएसए ने 2.3% ने वृद्धित दर्ज की थी।
आईएमएफ ने कहा कि 2021 में एक अस्थायी वैश्विक सुधार के बाद 2022 में तेजी से निराशाजनक विकास हुआ क्योंकि दुनिया की अर्थव्यवस्था को कई झटके लगे, जिसमें दुनिया भर में अपेक्षा से अधिक मुद्रास्फीति के कारण सख्त वित्तीय स्थितियां शामिल हैं, जो कि अनुमानित से भी बदतर मंदी है। दुनिया की अर्थव्यवस्था पर चीन की मंदी और यूक्रेन युद्ध ने नकारात्मक प्रभाव डाला है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू और अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर अपने निकटतम भौगोलिक पड़ोसियों की तुलना में मजबूत होगी। दक्षिण एशिया क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के 7.1 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान था।
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था(economy) होने का दंभ भरने वाले चीन पर आर्थिक मंदी का संकट मंडरा रहा है। बिजली संकट के चलते यहां फैक्ट्रियों में ताले लग रहे हैं। सितंबर तिमाही में यहां की अर्थव्यवस्था 4.9% पर आकर गिरी है। अगर यही हाल रहा, तो चीन भयंकर आर्थिक संकट में फंस जाएगा। दुनिया में सिर्फ भारत की इकोनॉमी ही लगातार सुधर रही है।
राज्य के वित्त मंत्री की मौत की खबर से बेहद दु:खी नजर आ रहे बॉफियर ने कहा कि शाएफर इस महामारी के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से उबरने में कंपनियों एवं कर्मियों की मदद करने के लिए ‘‘दिन-रात’’ काम कर रहे थे।
ली मेयर ने आरटीएल रेडियो से कहा कि सरकार को प्राथमिक आकलन के हिसाब से अर्थव्यवस्था के आकार में एक प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि दर नकारात्मक रहने के अनुमान के आधार पर सरकार जल्दी ही राहत के अन्य उपायों की घोषणा करने वाली है।
घरेलू शेयर बाजार में तेज गिरावट और कोरोना वायरस के चलते आर्थिक मंदी की आशंका के कारण रुपये पर दबाव देखने को मिला।