AIIMS ने अपने OPD में रजिस्ट्रेशन के लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता के उपयोग को बढ़ावा देने का फैसला किया है। यानी जिन नए मरीजों के पास ABHA है, उन्हें रजिस्ट्रेशन में प्राथमिकता मिलेगी। इसके लिए स्कैन एंड शेयर कोड सॉल्युश को अपनाना होगा।
यूपी में इन दिनों डेंगू के मरीजों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। लगातार बढ़ते मरीजों के बाद अस्पतालों में बेड फुल नजर आ रहे हैं। वहीं ओपीडी पहुंच रहे मरीजों को घंटों तक इंतजार करना पड़ रहा है।
लखनऊ स्थित केजीएमयू में मंगलवार को प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने ओपीडी में ताला जड़ दिया। इस बीच कर्मचारियों औऱ तीमारदारों में झड़प भी देखने को मिली। हालांकि कर्मचारी अपनी जिद पर अड़े रहे।
उन्नाव में अस्पताल का एक वीडियो सामने आया है। यहां टार्च की रोशनी में मरीज का इलाज हो रहा है। बताया जा रहा है कि बिजली सप्लाई बाधित होने के चलते यहां अंधेरे में इलाज किया जा रहा था।
यूपी के जिले उन्नाव में जिलाधिकारी ने गुरुवार को जिला अस्पताल में औचक निरीक्षण किया। वहां पहुंचकर उन्होंने ओपीडी में मिल रहे इलाज को लेकर मरीजों से हालचाल जाना। इतना ही नहीं अनुपस्थिति डॉक्टरों को लेकर भी डीएम ने नाराजगी जताई है।
सुबह सवा नौ बजे पीजीआई में बिजली गुल हो गई। 11.20 बजे तक बिजली नहीं आई है। मरीज पंजीकरण के लिए परेशान हैं। सुबह चार बजे से कतार में खड़े मरीज बेहाल है। नाराज मरीज-तीमारदार ने अधिकारियों से शिकायत की।
लखनऊ के डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में जल्द ही 400 बेड बढ़ जाएंगे इसके बाद यहां बेडों की संख्या बढ़कर 800 पहुंच जाएगी। अभी तक लखनऊ के बलरामपुर हॉस्पिटल में सर्वाधिक 760 बेड थे।
यूपी के सरकारी अस्पतालों में अब मरीजों की लंबी कतारें नहीं लगानी पड़ेगी। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग अब सरकारी अस्पतालों के ओपीडी में टोकन सिस्टम लागू करने जा रहा है। जिससे मरीजों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
बुधवार-गुरुवार को ओपीडी सेवाएं बहाल रहेंगी। इन दो दिनों में मांगें नहीं मानी तो डॉक्टर 14 जनवरी यानी शुक्रवार को इमरजेंसी सेवाएं भी बंद कर पूरी तरह से हड़ताल पर चले जाएंगे। डॉक्टरों के हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य सेवाएं भी काफी असर पड़ेगा।
कोविड-19 की वजह से पूरे देश में ओपीडी पर ग्रहण लग गया था। कोविड मरीजों के ट्रीटमेंट में डाॅक्टर्स के लगने की वजह से ओपीडी में मरीजों को देखने के लिए कोई नहीं बचा था। इसके अतिरिक्त संक्रमण के खतरे को भी देखते हुए ओपीडी को बंद कर दिया गया था।