केशव मौर्या ने कहा कि मेरे भाइयों बहनों मेरे कार्यकर्ता साथियों समाजवादी पार्टी वाले कहते हम सरकार बनाएंगे मैंने कई ज्योतिषियों से पूछा उन सब ने कहा समाजवादी पार्टी की कुंडली में अखिलेश यादव की कुंडली में अभी 25 साल तक राज योग है ही नहीं। साइकिल पंचर हो गई 2014 में 2017 में 2019 में और साइकिल चकनाचूर हो गई है 2022 में ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगलवार को जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में या एक-दूसरे के पास वाली राशि में स्थित होते हैं तो भौमावस्या का योग बनता है। इस बार ये योग माघ मास की मौनी अमावस्या पर 1 फरवरी को बन रहा है। इस दिन मंगल अपनी मित्र राशि में स्थित रहेगा। जिससे इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली देखकर उसके भविष्य के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है। व्यक्ति किस क्षेत्र में अपना करियर बनाएगा या किस फील्ड में उसे कामयाबी मिलेगी।
धनवान बनना हर कोई चाहता है, लेकिन कठिन परिश्रम के बाद भी अनेक लोग सामान्य जीवन जीने इतना पैसा भी नहीं कमा पाते हैं। ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो व्यक्ति की जन्मकुंडली में धनवान बनने या न बनने के योग होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र (Astrology) के अनुसार, कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर कई तरह के शुभ-अशुभ योग बनते हैं। शुभ योगों का फल भी शुभ ही होता है और अशुभ योगों के कारण जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही एक अशुभ योग है विष्कुंभ (Vishkumbh Yog)। इसे विष योग भी कहते हैं।
कई बार देखने में आता है कि कुछ लोगों का विवाह होने में अड़चने आती हैं। कई बार-बार बनते-बनते बिगड़ भी जाती है। इस वजह से उनका विवाह देरी होता है। विवाह में देरी के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे प्रमुख कारण कुंडली में बनने वाले अशुभ योग होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र (Astrology) में बुध ग्रह को सौरमंडल का युवराज कहा जाता है। ये मिथुन (Gemini) और कन्या (Virgo) राशि के स्वामी हैं। मीन (Pisces) इनकी नीच तथा कन्या (Virgo) उच्च राशि कही गयी है।
रुद्राक्ष (Rudraksha) का उपयोग मंत्र जाप में किया जाता है, साथ ही इसकी माला गले में धारण की जाती है। ऐसा करने से कई समस्याओं का अंत हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली के अशुभ योगों के प्रभाव को कम करने के लिए भी रुद्राक्ष (Rudraksha) की माला धारण करनी चाहिए।
ज्योतिष शास्त्र में पंचमहापुरुष योग को बहुत ही शुभ माना गया है। कुंडली में पंच महापुरुष मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि होते हैं। इन 5 ग्रहों में से कोई भी मूल त्रिकोण या केंद्र में बैठे हैं तो श्रेष्ठ हैं।
प्रत्येक व्यक्ति के जन्म समय और तिथि के अनुसार ग्रह, नक्षत्रों की गणना करके कुंडली बनती है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग बनते हैं।