गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Assembly Election) में भाजपा को मिली रिकॉर्ड जीत को गृह मंत्री अमित शाह ने नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल में जनता के अटूट विश्वास की जीत बताया है।
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की आंतरिक कलह के चलते सुनने में आ रहा है कि गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले दिल्ली से पर्यवेक्षक जयुपर पहुंच सकते है। ताकि प्रदेश में जारी राजनीतिक घमासान को शांत किया जा सके।
रैलियों में टेंट, होर्डिंग से लेकर राजनीतिक दलों ने हेलीकॉप्टर तक की बुकिंग करवाई है। एक अनाधिकृत आंकड़े के अनुसार राजनीतिक दल चुनावी प्रचार के लिए जो हवाई यात्रा करेंगी उसके लिए तकरीबन 100 करोड़ रूपए खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
गुजरात में चुनावी तारीख की घोषणा होने के बाद से ही सियासी पारा गर्माने लगा है। अब बीटीपी-जनतादल साथ में चुनाव लड़ने की खबरों ने इसको भी नया रंग दे दिया है। प्रदेश में होने वाले चुनाव प्रचार के लिए जेडीयू सुप्रीमों नितीश कुमार गुजरात आयेंगे।
पिछले दिनों राजस्थान में मचा सियासी घमासान फिलहाल थम गया है। लेकिन गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद फिर एक बार राजनीतिक गतिविधियां तेज हो जाएंगी। क्योंकि कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत और सचिन पायलट को गुजरात जीतने का टारगेट दिया गया है। जो जितनी सीटें जिताएगा वही अगला मुख्यमंत्री होगा।
माधवसिंह सोलंकी 1980 के दशक में KHAM (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, मुस्लिम) फार्मूले पर गुजरात में सत्ता में आए थे। ये KHAM थ्योरी के जनक माने जाते हैं। KHAM यानी कि क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम।
आरजेडी के वरिष्ठ नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने अल्पसंख्यक मतों के ध्रुवीकरण की कोशिश करते हुए प्रधानमंत्री को लेकर विवादित बयान दिया। है। आरजेडी नेता ने पीएम पर पर नफरत की राजनीति का फैलाने का आरोप लगाया।
यह स्वतंत्र भारत में हुए उस एकमात्र सफल आंदोलन की कहानी है, जिसके परिणास्वरूप सबसे भ्रष्ट और असंवेदनशील सरकार का तख्ता पलट गया था। इस आंदोलन का नेतृत्व गुजरात के छात्रों ने किया था। नव निर्माण आंदोलन की यह कहानी अद्भुत है।