जलझूलनी एकादशी पर सीकर में सामूहिक शोभायात्रा से 298 साल का इतिहास बदलेगा। राजस्थान के सीकर शहर में मंगलवार को इसका आयोजन किया जाएगा। सभी मंदिरों की शोभायात्रा सवा पांच बजे गोपीनाथजी के मंदिर के पास पहुंचेगी।
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी कहते हैं। इसे परिवर्तिनी एकादशी व डोल ग्यारस आदि नामों से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान वामन की पूजा की जाती है।
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी एकादशी कहते हैं। इसे परिवर्तिनी एकादशी व डोल ग्यारस भी कहा जाता है। इस दिन भगवान वामन की पूजा की जाती है। कुछ स्थानों पर ये दिन भगवान श्रीकृष्ण की सूरज पूजा के रूप में भी मनाया जाता है।
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जलझूलनी और परिवर्तिनी आदि नामों से जाना जाता है। इस बार ये तिथि 17 सितंबर, शुक्रवार को है। इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा की जाती है।