Devuthani Ekadashi 2023 Ka Panchang: 23 नवंबर, गुरुवार को देवउठनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। इस दिन छत्र, मित्र, वज्र, सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि नाम के 3 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल दोपहर 01:33 से 02:54 तक रहेगा।
Devuthani Ekadashi 2023: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी और देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। इस एकादशी का महत्व कईं धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन चातुर्मास समाप्त होते हैं।
Devuthani Ekadashi 2022: इस बार 4 नवंबर, शुक्रवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इसे देवउठनी एकादशी कहते हैं। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं। इस तिथि पर तुलसी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
Devuthani Ekadashi 2022: हमारे देश में विशेष मौकों पर कई धार्मिक यात्राएं निकाली जाती हैं। ऐसी ही एक यात्रा देवउठनी एकादशी पर महाराष्ट्र के पंढरपुर में भी निकाली जाती है। ये यात्रा बहुत प्रसिद्ध है। इसे देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।
Devuthani Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस तिथि के स्वामी भगवान विष्णु है। इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत व पूजा की जाती है। एक साल मे कुल 24 एकादशी तिथि आती है।
Devuthani Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में हर त्योहार के साथ कोई-न-कोई परंपरा जरूर जुड़ी होती है। ऐसी ही कुछ परंपराएं देवप्रबोधिनी एकादशी से भी जुड़ी हैं। इस बार ये पर्व 4 नवंबर, शुक्रवार को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु नींद से जागते हैं।
Vivah Muhurat 2022: आमतौर पर देवउठनी एकादशी से विवाह आदि मांगलिक कार्यों की शुरूआत हो जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। इसका कारण शुक्र ग्रह है, जो अभी अस्त है। शुक्र ग्रह के उदय होने के बाद ही विवाह आदि मांगलिक कार्य किए जा सकेंगे।
Devuthani Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इसे तिथि पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा की जाती है। साल में कुल 24 एकादशी होती है, इन सभी का अलग-अलग महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।
हमारे देश में समय-समय पर कई धार्मिक मेलों व यात्राओं का आयोजन किया जाता है। ऐसी ही एक प्रसिद्ध यात्रा महाराष्ट्र के पंढरपुर में निकाली जाती है। यहां भगवान श्रीकृष्ण का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण विट्ठल रूप में विराजमान हैं। साल में 2 बार इस मंदिर में मेला लगता है और यात्रा निकाली जाती है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से सृष्टि के पालनकर्ता भगवान श्रीहरि विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए चले जाते हैं। इस समय से पूरे चार माह तक वे योग निद्रा में रहते हैं। इस अवधि को चतुर्मास कहा जाता है।