Aaj Ka Panchang: 15 फरवरी, गुरुवार को गुप्त नवरात्रि का छठा दिन रहेगा। इस दिन देवी कात्यायानी की पूजा की जाएगी। गुरुवार को मानस, पद्म, सर्वार्थसिद्धि, शुक्ल और ब्रह्म नाम के 5 शुभ योग रहेंगे। राहुकाल दोपहर 02:05 से 03:29 तक रहेगा।
Aaj Ka Panchang: 20 अक्टूबर शुक्रवार को मूल नक्षत्र पूरे दिन रहेगा, जिससे सुस्थिर नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा इस दिन अतिगण्ड नाम का एक अशुभ योग भी रहेंगे। इस दिन राहुकाल सुबह 10:46 से 12:11 तक रहेगा।
Navratri 2023 Katyayani: शारदीय नवरात्रि में रोज देवी के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इसी क्रम में नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा करने का विधान है।
Sharadiya Navratri 2022: इन दिनों शारदीय नवरात्रि का पर्व चल रहा है। नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 1 अक्टूबर, शनिवार को है। देवी दुर्गा का ये स्वरूप सौम्य है। इनकी पूजा से हर सुख मिलता है।
चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022) हिंदू पंचांग की पहली नवरात्रि होती है। इसके बाद 3 और नवरात्रियां मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि भी कहते हैं। चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि यानी चैत्र नवरात्रि के छठे दिन देवी कात्यायनी (Goddess Katyayani) की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि 7 अप्रैल, गुरुवार को है।
उज्जैन. शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि (22 अक्टूबर) की प्रमुख देवी मां कात्यायनी हैं। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इनकी चार भुजाएं हैं। माताजी की दाहिनी ओर ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। बाएं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है। इनकी पूजा से रोग, शोक, संताप, भय आदि नष्ट हो जाते हैं।
शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि (4 अक्टूबर) की प्रमुख देवी मां कात्यायनी हैं। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इनकी चार भुजाएं हैं।
Aaj Ka Panchang: 1 अक्टूबर, शनिवार को ज्येष्ठा नक्षत्र होने से मूसल नाम का अशुभ योग इस दिन बनेगा। इसके अलावा आयुष्मान और सौभाग्य योग नाम के 2 शुभ योग भी इस दिन रहेंगे। राहुकाल सुबह 09:19 से 10:47 तक रहेगा।
शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2021) की षष्ठी तिथि (इस बार 11 अक्टूबर, सोमवार) की प्रमुख देवी मां कात्यायनी हैं। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था।