जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा 2019 अगस्त में खत्म कर दिया गया था। दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में अस्तित्व में आए इस क्षेत्र में लोकसभा व विधानसभा क्षेत्रों के नए सिरे से परिसीमन का आदेश चुनाव आयोग ने दिया था।
मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि परिसीमन को केवल जनसंख्या आधार न मानकर अन्य मानकों पर भी देखें तो कई समस्याओं का हल मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि परिसीमन को इस तरह से भी किया जा सकता है जिससे अवैध विदेशियों का पता लगाया जा सके साथ ही एनआरसी को लागू करने में आसानी हो सकती है।
जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग की सिफारिशें लागू कर दी गई हैं। शुक्रवार को भारत सरकार के कानून मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर 20 मई से आयोग की सिफारिशों के प्रभावी होने की जानकारी दी है। परिसीमन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा व लोकसभा क्षेत्रों का भूगोल व आरक्षण बदल जाएगा।
जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के चुनावी नक्शे को फिर से तैयार करने के लिए बने परिसीमन आयोग ने अंतिम रिपोर्ट सौंप दी है। इससे विधानसभा चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है। आयोग ने कश्मीरी पंडितों और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से विस्थापित लोगों के लिए अतिरिक्त सीटों की सिफारिश की है।
जम्मू-कश्मीर में पहला पूर्ण परिसीमन 1981 में हुआ था। इसके पहले जम्मू और कश्मीर में 1951 में 100 सीटें थीं। इनमें 25 सीटें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में थीं।
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर सीटों के नये सिरे से मूल्यांकन के लिए परिसीमन आयोग आज से 9 जुलाई तक राज्य के दौरे पर है। इस दौरान वो सभी प्रमुख राजनीति पार्टियों और अन्य प्रबुद्ध लोगों से मिलेगा।
धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक के बाद परिसीमन की प्रक्रिया पर तेजी से काम शुरू हो गया था। माना जा रहा है कि 5 मार्च,2022 से पहले परिसीमन हो जाएगा।