Mauni Amavasya 2024 Upay: माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस बार ये तिथि 9 फरवरी, शुक्रवार को है। अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ हैं, इसलिए इस तिथि पर कुछ खास उपाय करने से पितृ दोष के बुरे असर से बचा जा सकता है।
Sarvapitri Amavasya Upay: श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहते हैं। इस बार ये तिथि 14 अक्टूबर, शनिवार को है। मान्यता है कि इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध एक साथ किया जा सकता है, जिससे उन सभी को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
Pitra Dosh Ka Upay: अक्सर लोग पितृ दोष के कारण परेशान रहते हैं। पितृ दोष के कारण जीवन में कईं तरह की परेशानियां बनी रहती हैं। एक छोटे से उपाय से पितृ दोष का बुरा असर काफी हद तक कम किया जा सकता है।
Pitra Dosh Ke Upay: पितृ दोष के बारे में कभी न कभी हम सभी ने सुना होगा। जिसकी कुंडली में ये दोष होता है, उसे अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ आसान उपाय कर इस दोष का प्रभाव को कम किया जा सकता है।
Adhik Maas Amawasya Upay: 16 अगस्त, बुधवार को अधिक मास की अमावस्या है। ये तिथि 3 साल में एक बार आती है और सावन अधिक मास की अमावस्या का संयोग तो 19 साल बाद बना है। इस दिन यदि कुछ उपाय किए जाएं तो पितृ दोष से मुक्ति पाई जा सकती है।
Hariyali Amawasya 2023: धर्म ग्रंथों के अनुसार, अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ देवता हैं। पितृ दोष होने पर अमावस्या तिथि पर कुछ विशेष उपाय करने से इसके अशुभ फल से बचा जा सकता है। इस बार हरियाली अमावस्या 17 जुलाई, सोमवार को है।
Bhutadi Amavasya Ke Upay: अनेक धर्म ग्रंथों में अमावस्या तिथि का महत्व बताया गया है। इस बार 21 मार्च, मंगलवार को चैत्र मास की अमावस्या है। इसे भूतड़ी अमावस्या कहते हैं। ये हिंदू वर्ष की अंतिम अमावस्या होती है।
Holi Upay 2023: तंत्र शास्त्र के अनुसार, रात को किए गए उपाय बहुत ही जल्दी शुभ फल प्रदान करते हैं। ये उपाय यदि किसी खास रात को किए जाएं तो और भी शुभ रहता है। होलिका दहन की रात भी इनमें से एक है।
Somvati Amavasya 2023: धर्म ग्रंथों में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। जब ये तिथि सोमवार को होती है तो इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस बार 20 फरवरी को साल 2023 की पहली सोमवती अमावस्या का योग बन रहा है।
Pitru Dosh: हिंदू धर्म में मृत पूर्वजों को पितृ कहा जाता है और इनकी भी देवताओं की तरह पूजा की जाती है। प्रत्येक अमावस्या तिथि के स्वामी पितृों का माना जाता है, वहीं शुक्ल पक्ष को देवताओं का दिन और कृष्ण पक्ष को पितरों की रात्रि कहा जाता है।