कानपुर में कई वर्षों बाद लोकतंत्र का उदय हुआ है। पहले लोकसभा और विधानसभा चुनाव से लेकर पंचायत चुनाव तक बिकरू और आसपास के लोग विकास दुबे की कोठी पर लगे झंडे को देखकर वोट करते थे। हालांकि विकास दुबे की मौत के बाद पहली बार पंचायत चुनाव में ग्रामीणों ने अपनी मर्जी से प्रधान चुना। इससे पहले विकास दुबे और उसके परिवार की मर्जी से ही प्रधान से लेकर विधायक और सांसद तक चुने जाते थे।
गैंगस्टर विकास दुबे 1995 में पहली बार अपने रुतबे की दम पर प्रधान बना था। जबकि इसके बाद से उसके चहेते निर्विरोध प्रधान बन रहे थे। लेकिन, इस बार विकास दुबे की दहशत से आजादी के बाद लोगों ने अपने मनपंसद प्रत्याशी को ग्राम प्रधान चुना है।