मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के दिए बयान ने प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मचा दिया है। उन्होंने अपनी ही शिवराज सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। साध्वी ने कहा-मेरे गांव के लोगबेटियों को बेचकर पुलिस को रिश्वत देते हैं।
दिग्विजय सिंह शुक्रवार सुबह से ही अध्यक्ष पद के लिए वोटिंग सेंटर पर पहुंच गए थे। पहले उनके मध्यप्रदेश के नगरीय विकास मंत्री भूपेन्द्र सिंह से बहस हुई पिर उन्होंने एकक पुलिसकर्मी का कॉलर पकड़कर मारपीट की। शिवराज ने इसकी निंदा की है।
जानकारी के अनुसार, लड़कियों ने पब में पहले ड्रिंक किया था उसके बाद दो लड़कियों के बीच बॉयफ्रेंड को लेकर झगड़ा हो गया। पब के अंदर का झगड़ा सड़क पर आ गया। हालांकि झगड़ा बढ़ता देख मौके पर मौजूद लोगों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी।
सोमवार की रात आरोपी दोस्त का कटा सिर लेकर मोहल्ले में घूम रहा था। वह जोर-जोर से चिल्ला रहा था कि उसने शिवा की हत्या कर दी है, उसे दफना दिया है। वह नशे में था। आसपास से गुजरने वालों को भी धमका रहा था।
पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि अब तक की जांच में कुछ भी नहीं पाया गया है। पुलिस हर तरह से अलर्ट है। वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने बताया कि ई-मेल मिलने के बाद से ही जांच चल रही है।
केंद्रीय गृहमंत्री जंबूरी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस मैदान में आदिवासियों के लिए भारतीय जनता पार्टी का छह महीने में यह दूसरा बड़ा प्रोग्राम है। इससे पहले 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदिवासियों के सम्मेलन में पहुंचे थे।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हनुमान जंयती पर बजरंग बली का भव्य जुलूस निकालने की योजना थी। इस दौरान चप्पे-चप्पे पर पुलिस-फोर्स तैनात भी हो गई। जमीन से लेकर आसमान तक से पूरे मूवमेंट पर नजर रखी जा रही है। लेकिन अब इस जुलूस को रद्द कर दिया है।
भोपाल से पकड़े गए 4 आतंकियों को पुलिस ने आज एटीएस ने अदालत में पेश किया। जहां कोर्ट ने 14 दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। अब यह आतंकी 28 मार्च तक रिमांड पर रहेंगे।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां पुलिस ने 6 संदिग्ध आतंकवादियों को पकड़ा है। यह आतंकी पुराने शहर में एक मकान में किराए से रह रहे थे।
पहली बार 1981 में इस सिस्टम को लागू करने की पहल हुई थी। तब से लेकर अब तक कई सरकारों में इसको लेकर प्रयास हुए। इतने सालों में यह 6वां प्रयास है, जब 40 साल की लंबी कवायद के बाद भोपाल और इंदौर में गुरुवार से पुलिस-कमिश्नर सिस्टम लागू हो गया है।