29 अगस्त, मंगलवार को श्रवण नक्षत्र होने से लुंब नाम का अशुभ योग बनेगा। इनके अलावा इस दिन सर्वार्थसिद्धि, शोभन, अतिगण्ड नाम के 3 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल दोपहर 03:35 से शाम 05:09 तक रहेगा।
22 अगस्त, मंगलवार को स्वाती नक्षत्र पूरे दिन रहेगा, जिससे ध्वजा नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा इस दिन शुक्ल और ब्रह्म नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल सुबह 07:44 से 09:19 तक रहेगा।
Mangala Gauri Vrat 2023: सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इस बार सावन का अधिक मास होने से मंगला गौरी व्रत की संख्या दोगुनी हो गई है। 8 अगस्त को इस बार का छठा मंगला गौरी व्रत किया जाएगा।
Mangala Gauri Vrat 2023: 1 अगस्त, मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाएगा। ये इस बार का पाचंवा मंगला गौरी व्रत रहेगा। इस दिन कई शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इसका महत्व और भी ज्यादा हो गया है। इस व्रत के प्रभाव से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
Mangla Gouri Vrat 2023: 25 जुलाई, मंगलवार को सावन का चौथा मंगला गौरी व्रत किया जाएगा। इस व्रत में देवी पार्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस दिन कई शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इस व्रत का फल कई गुना होकर मिलेगा।
25 जुलाई, मंगलवार को चित्रा नक्षत्र होने से ध्वांक्ष नाम का अशुभ योग दिन भर रहेगा। इसके अलावा इस दिन द्विपुष्कर, सिद्ध और साध्य नाम के 2 अन्य शुभ योग भी रहेंगे। राहुकाल दोपहर 03:50 से 05:29 तक रहेगा।
Mangala Gauri Vrat 2023: 18 जुलाई, मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाएगा। ये इस बार का तीसरा मंगला गौरी व्रत रहेगा। इस दिन कई शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इसका महत्व और भी ज्यादा हो गया है। इसी दिन से सावन का अधिक मास शुरू होगा।
11 जुलाई, मंगलवार को पहले अश्विनी नक्षत्र होने से अमृत नाम का शुभ योग और इसके बाद भरणी नक्षत्र होने से मूसल नाम का अशुभ योग बनेगा। इनके अलावा इस दिन अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि, सुकर्मा और धृति नाम के 4 अन्य योग भी रहेंगे।
Mangala Gauri Vrat 2023: इस बार सावन मास 4 जुलाई, मंगलवार से शुरू हो चुका है। सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत करने का विधान है। इस व्रत में देवी पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन सुखी रहता है।
Mangala Gauri Vrat 2023: हिंदू धर्म में सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं कई व्रत करती हैं। मंगला गौरी व्रत भी इनमें से एक है। ये व्रत सावन के प्रत्येक मंगलवार को किया जाता है। इस बार अधिक मास होने से इनकी संख्या भी डबल हो गई है।