आरबीआई ने इन दरों को पहले जैसे ही बरकरार रखा है। रेपो रेट में बदलाव नहीं होने से बैंकों को भी समान दरों पर लोन मिलता रहेगा। ऐसा लगातार चौथी बार है, जब रिजर्व बैंक ने अपनी नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया है।
हर दो महीने में आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक होती है। इस वित्त वर्ष की पहली बैठक अप्रैल में हुई थी। पिछले वित्त वर्ष में रेपो रेट को आरबीआई ने छह बार में 2.50% तक बढ़ाया था।
महंगाई कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने का प्रयास करता है। इसके लिए रेपो रेट को बढ़ाया जाता है, ताकि इकोनॉमी में मनी फ्लो कम हो और डिमांड घट जाए। इससे महंगाई कम हो जाती है।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 10 अगस्त 2023 को मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग के फैसलों की जानकारी दी। लगातार तीसरी बार ऐसा हुआ है, जब RBI ने ब्याज दरों में बदलाव न करने का फैसला लिया है।
आरबीआई ने 8 जून को नई मॉनिटरी पॉलिसी (RBI Monetary Policy 2023) घोषित कर दी है। इसकी सबसे बड़ी बात है कि रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कोई भी बदलाव नहीं किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नई मॉनिटरी पॉलिसी का ऐलान कर दिया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shakti Kant Das) के अनुसार इस बार भी रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
RBI ने रेपो रेट को यथावत रखते हुए आम आदमी को बढ़ी राहत दी है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में कहा कि रेपो रेट को 6.50% ही रखा गया है और इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा रहा। इससे लोन EMI नहीं बढ़ेगी।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(RBI) ने रेपो रेट 25 बेसिस प्वाइंट यानी 0.25% बढ़ा दिया है। इसके बाद सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे। RBI गवर्नर शशिकांत दास ने मुंबई में कहा कि रेपो रेट में 0.25% की बढ़ोतरी हुई, 0.25% बढ़ाकर 6.50% हुआ।
आरबीआई की नीति दर अब अगस्त 2018 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर है। वहीं फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में आरबीआई द्वारा यह पांचवीं दर वृद्धि है। इससे पहले, आरबीआई ने मई में रेपो रेट में 40 बीपीएस और जून, अगस्त और सितंबर में 50 बीपीएस की बढ़ोतरी की थी।
बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर रेपो रेट में 0.50% की बढोतरी कर दी है। आरबीआई द्वारा रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट इजाफे के बाद यह 5.40% से बढ़कर 5.90% हो गई है। रेपो रेट बढ़ने का सीधा मतलब ये है कि सभी तरह के लोन महंगे हो जाएंगे।