8 अप्रैल, 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने ब्रिटिश भारत की सेंट्रल असेंबली में बम फेंक दिया। बम जानबूझकर कर सभागार के बीच में फेंके गए थे, जहां कोई मौजूद नहीं था। बम फेंकने के बाद दोनों क्रांतिकारी भागे नहीं बल्कि वहीं खड़े रहे और गिरफ्तारी दी।
पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पीर कलीम अहमद ने लाहौर में शादमान चौक का नाम सिंह के नाम पर रखने की फाउंडेशन की मांग को दोहराया। फाउंडेशन ने मांग की कि नए ब्रिटिश राजा चार्ल्स III को पाकिस्तान-भारत और तीन क्रांतिकारियों के परिवारों से माफी मांगनी चाहिए और उन्हें एक बड़ा मुआवजा देना चाहिए।
पंजाब के सीएम भगवंत मान ने पंजाबी में एक ट्वीट में कहा, 'आखिरकार हमारे प्रयास रंग लाए। पूरे पंजाब की ओर से हम चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम शहीद भगत सिंह जी के नाम पर रखने के फैसले का स्वागत करते हैं। पंजाबियों की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हो गई है।'
अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि हम झरोदा कलां में 14 एकड़ जमीन पर ‘शहीद भगत सिंह आर्म्ड फोर्सेज प्रिपरेटरी स्कूल' बना रहे हैं, जहां छात्रों को सशस्त्र बलों के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
पंजाब में पहली बार शपथ ग्रहण समारोह राजभवन में नहीं बल्कि स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के गांव में हो रहा है। भगवंत मान ने लोगों से अपील की है कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में खटकड़कलां पहुंचे। उन्होंने सभी से अपील की है कि सभी पीली पगड़ी पहनें और बहनें पीली शॉल या स्टॉल पहनें। हम उस दिन खतर कलां को 'बसंती रंग' में रंगेंगे।
लोकसभा की कार्यवाही अपराह्न दो बजे शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शहीद दिवस की चर्चा की। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान फांसी पर लटकाया गया था। इस दिन को शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है।