पार्वती कुड में दर्शन के दौरान पीएम उत्तराखंडी वेषभूषा में भगवान शिवशंभु की आराधना करते हुए शंख और डमरू बजाया साथ ही हर-हर महादेव के जयकारे लगाए।
पूरे देश भर में भगवान के शिव के कई अनोखे मंदिर है। ऐसा ही एक शिव मंदिर राजस्थान की एजुकेशन सिटी कोटा शहर में स्थित है जहां पूरे परिवार साथ विराजमाने है भगवान शिव। मंदिर का निर्माण ऐसा की सूरज की पहली किरण अभिषेक करती है।
Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा तो होती ही है, साथ ही अगर देवी पार्वती की पूजा भी विशेष रूप से की जाए तो वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है और परेशानियां दूर होती हैं।
Mahashivratri 2023: इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी, शनिवार को मनाया जाएगा। मान्यता है कि ये पर्व भगवान शिव-पार्वती के विवाह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। उत्तराखंड में आज भी वो जगह है जहां शिवजी का विवाह हुआ था।
यूपी के आगरा में चादरपोशी और कव्वाली पर रोक लगाने की मांग को लेकर भूख हड़ताल जारी है। इस बीच मौके पर पुलिस फोर्स की भी तैनाती कर दी गई है। बताया गया कि बिना अनुमति के कार्यक्रम हो रहा है।
Mahashivratri 2023: फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 18 फरवरी, शनिवार को है। इस पर्व पर भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से की जाती है। कई परंपराएं इस त्योहार से जुड़ी हैं।
Hartalika Teej 2022 Katha: हरतालिका तीज महिलाओं के प्रिय त्योहारों में से एक है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं यानी दिन भर कुछ भी खाती-पीती नहीं है, लेकिन इसके बाद भी उन्हें इस व्रत का बहुत ही बेसब्री से इंतजार रहता है।
Hartalika Teej 2022:पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं इस व्रत को रखती हैं। यह सबसे कठिन व्रत होता है जो महिलाएं करती हैं। 24 घंटे महिलाओं को बिना अन्न और पानी के रहते हुए इस व्रत को करना होता है। इस पर्व में मेहंदी की खास अहमियत होती है।
श्रावण में महिलाओं से संबंधित कई व्रत व पर्व मनाए जाते हैं। हरियाली तीज भी इनमें से एक है। इस दिन 31 जुलाई, रविवार को मनाया जाएगा। हरियाली तीज पर शिव-पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है।
हमारे देश में प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं। इनमें से कुछ मंदिरों का संबंध सतयुग से भी माना जाता है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बता रहे हैं जिसका संबंध शिव-पार्वती के विवाह से है। ये मंदिर उत्तराखंड (Uttarakhand) के रुद्रप्रयाग (Rudraprayag) में स्थित है।