Diwali 2023 Tradition: दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा की परंपरा काफी पुरानी है। देवी लक्ष्मी के साथ-साथ देवी सरस्वती और भगवान श्रीगणेश की पूजा भी इस दिन की जाती है। क्या आप जानते हैं इन तीनों की पूजा दिवाली पर ही क्यों करते हैं?
Dreams Of Shri Ganesh: इन दिनों पूरे देश में गणेश उत्सव की धूम है। हर कोई भगवान श्रीगणेश की भक्ति में लीन है। 28 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ ही ये उत्सव समाप्त हो जाएगा।
Ganesh Utsav 2023: इन दिनों पूरे देश में गणेश उत्सव की धूम है। हर कोई भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहा है। प्रमुख गणेश मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। गणेश उत्सव 28 सितंबर तक मनाया जाएगा।
भगवान श्रीगणेश को सुख-समृद्धि देने वाले देवता माना गया है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कईं देशों में इनकी पूजा की जाती है। फर्क सिर्फ इतना है कि यहां इनके स्वरूप और नाम अलग हैं।
हिंदू धर्म में तुलसी को परम पवित्र माना गया है। लगभग सभी देवताओं की पूजा में तुलसी का उपयोग किया जाता है, लेकिन श्रीगणेश की पूजा में तुलसी का उपयोग वर्जित है। इसके पीछे एक रोचक कथा है, जिसका वर्णन गणेश पुराण में मिलता है।
Ganesh Chaturthi 2023: इस बार गणेश उत्सव की शुरुआत 19 सितंबर, मंगलवार से हो चुकी है। ये उत्सव 28 सितंबर तक मनाया जाएगा और 29 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के मौके पर गणपति प्रतिमाओं का विसर्जन होगा।
Ganeshji Ke Mantra: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से चतुर्दशी तिथि तक गणेश उत्सव मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 19 से 28 सितंबर तक मनाया जाएगा। इस दौरान मंत्र जाप कर भी भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न किया जा सकता है।
Ganesh Chaturthi 2023: श्रीगणेश से जुड़ी अनेक कथाएं हमारे धर्म ग्रंथों में मिलती हैं। ऐसी ही एक कहानी उनके भाई कार्तिकेय से भी जुड़ी हैं। ये दोनों ही शिव के प्रिय पुत्र हैं और एक बार इन दोनों में अपनी श्रेष्ठता साबित करने के लिए प्रतियोगिता भी हुई थी।
Ganesh Chaturthi Ki Katha: भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 19 सितंबर को है। भगवान श्रीगणेश का मस्तक हाथी का है, ये बात तो हम सभी जानते हैं, लेकिन गणेश चतुर्थी की पूरी कथा बहुत कम लोग जानते हैं।
इस बार गणेश उत्सव 19 सितंबर, 2023 से शुरू होगा। इससे पहले आपको पुणे के ऐतिहासिक 'दगडूशेठ हलवाई मंदिर' के दर्शन कराते हैं। इस मंदिर का नाम इतना विचित्र क्यों है, पढ़िए इसके पीछे की रोचक कहानी