Paryushan 2022: हिंदू धर्म में चातुर्मास का जितना महत्व है, जैन धर्म में भी उतना ही है। इस दौरान जैन धर्माचार्य विहा नहीं करते यानी एक-स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं जाते। किसी एक स्थान पर रहकर तप करते हैं और धर्मोपदेश देते हैं। इस दौरान पयुर्षण पर्व भी मनाया जाता है।