Today's History 10 THINGS: पूरा शहर राख बन गया, बिछ गईं 1 लाख लाशें-कई दिन तक नहीं निकला सूरज

आज पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना की चपेट में है। इस त्रासिदी में लाखों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। इस महामारी को दौर में याद आती है 1815 की एक त्रासिदी जिसमें 1 लाख लोगों की जान चली गई थी। एक ऐसा धमाका जिसमें पूरा का पूरा शहर राख के नीचे दब गया। जो बचा था वो था चीत्कार और सिसकती आवाजें। आइये जानते हैं इस त्रासदी की  10 बड़ी बातें। 

/ Updated: Apr 17 2021, 06:20 AM IST

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आज पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना की चपेट में है। इस त्रासिदी में लाखों लोग अपनी जान गवां चुके हैं। इस महामारी को दौर में याद आती है 1815 की एक त्रासिदी जिसमें 1 लाख लोगों की जान चली गई थी। एक ऐसा धमाका जिसमें पूरा का पूरा शहर राख के नीचे दब गया। जो बचा था वो था चीत्कार और सिसकती आवाजें। आइये जानते हैं इस त्रासदी की  10 बड़ी बातें।  इतिहास के पन्नों की वो तारीख जहां 1 लाख लोग मौत की नींद सो गए थे। ये तारीख थी 17 अप्रैल 1815। जब एक ज्वालामुखी से निकली धधकती राख और लावे में लाखों लोगों की जान चली गई। जिसमें पूरा शहर ढेड़ मीटर मोटी राख के नीचे दब गया। तमबोरा के इस धमाके को अबतक का सबसे बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट कहा जाता है। यह ज्‍वालामुखी इंडोनेशिया के सुमबवा द्वीप पर है। वर्षों तक शांत रहने के बाद 5 अप्रैल 1815 को लोगों ने धरती में कुछ कंपन महसूस किया। ये कंपन ज्वालामुखी के फटने का इशारा था। लेकिन इस खतरे अंजान लोगों इसे मामूली भूकंप समझकर भूला दिया। लेकिन वहीं ये ज्‍वालामुखी अपना रौद्र रूप दिखाने के लिए खुद को तैयार कर रहा था।