Modi ने बर्तन मांजे और चाय बेची, जानिए Ghulam Nabi Azad ने क्यों की PM की तारीफ?


वीडियो डेस्क।  जम्मू में जी-23 में गुलाम नबी आजाद समेत कई कांग्रेस के नेताओं ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला था। आज उस ट्रेलर का पार्ट-2 दिखा जब गुलाम नबी आजाद ने खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सच्चाई की तारीफ की। गुलाम नबी आजाद ने कहा, पीएम कहते हैं कि उन्होंने बर्तन मांजे...चाय बेची। यही होना भी चाहिए। गर्व से अपने समय को याद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुराने वक्त को सच्चाई से याद करने वाले ही बड़े नेता होते हैं। लोगों को उनसे सीखना चाहिए कि कामयाबी की बुलंदियों पर जाकर भी कैसे अपनी जड़ों को याद रखा जाता है। बता दें कांग्रेस पार्टी से नाराज बताए जा रहे 'ग्रुप-23' के नेताओं में शामिल और हाल ही में राज्यसभा से रिटायर हुए है।

मोदी और आजाद का दोस्ताना रिशता
आपको बता दें कि गुलाम नबी आजाद का पीएम मोदी के साथ इमोशनल रिश्ता है।  जब संसद में गुलाब नबी आजाद को विदाई देते हुए प्रधानमंत्री भावुक हो गए थे। पीएम मोदी ने कहा था कि जो व्यक्ति गुलाम नबी जी (विपक्ष के नेता के रूप में) का स्थान लेगा, उसे अपना काम करने में कठिनाई होगी क्योंकि वह न केवल अपनी पार्टी के बारे में बल्कि देश और सदन के बारे में चिंतित थे।

/ Updated: Feb 28 2021, 05:47 PM IST

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वीडियो डेस्क।  जम्मू में जी-23 में गुलाम नबी आजाद समेत कई कांग्रेस के नेताओं ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला था। आज उस ट्रेलर का पार्ट-2 दिखा जब गुलाम नबी आजाद ने खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सच्चाई की तारीफ की। गुलाम नबी आजाद ने कहा, पीएम कहते हैं कि उन्होंने बर्तन मांजे...चाय बेची। यही होना भी चाहिए। गर्व से अपने समय को याद करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुराने वक्त को सच्चाई से याद करने वाले ही बड़े नेता होते हैं। लोगों को उनसे सीखना चाहिए कि कामयाबी की बुलंदियों पर जाकर भी कैसे अपनी जड़ों को याद रखा जाता है। बता दें कांग्रेस पार्टी से नाराज बताए जा रहे 'ग्रुप-23' के नेताओं में शामिल और हाल ही में राज्यसभा से रिटायर हुए है।

मोदी और आजाद का दोस्ताना रिशता
आपको बता दें कि गुलाम नबी आजाद का पीएम मोदी के साथ इमोशनल रिश्ता है।  जब संसद में गुलाब नबी आजाद को विदाई देते हुए प्रधानमंत्री भावुक हो गए थे। पीएम मोदी ने कहा था कि जो व्यक्ति गुलाम नबी जी (विपक्ष के नेता के रूप में) का स्थान लेगा, उसे अपना काम करने में कठिनाई होगी क्योंकि वह न केवल अपनी पार्टी के बारे में बल्कि देश और सदन के बारे में चिंतित थे।