देश की अबतक की चौंकाने वाली फांसी, फंदे पर लटकने के 2 घंटे बाद भी जिंदा रहा खूंखार अपराधी

वीडियो डेस्क। फांसी पर लटकने के चंद सेकेंड में किसी की मौत हो जाती है। लेकिन इतिहास में एक मामला ऐसा भी रहा है जहां एक दोषी फांसी पर लटकने के 2 घंटे बाद तक जिंदा रहा था। ये रंगा और बिल्ला की जोड़ी था। कहानी 37 साल पुरानी हैं। दोनों ने 1978 में एक आर्मी अफसर के बच्चे गीता और संजय को लिफ्ट देने के बहाने काम में बैठा लिया और मौत के घाट उतार दिया। 

/ Updated: Oct 12 2020, 09:47 PM IST

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वीडियो डेस्क। फांसी पर लटकने के चंद सेकेंड में किसी की मौत हो जाती है। लेकिन इतिहास में एक मामला ऐसा भी रहा है जहां एक दोषी फांसी पर लटकने के 2 घंटे बाद तक जिंदा रहा था। ये रंगा और बिल्ला की जोड़ी था। कहानी 37 साल पुरानी हैं। दोनों ने 1978 में एक आर्मी अफसर के बच्चे गीता और संजय को लिफ्ट देने के बहाने काम में बैठा लिया और मौत के घाट उतार दिया। इतना ही नहीं गीता के साथ दुष्कर्म जैसी घिघोनी वारदात को अंजाम दिया गया। उस समय दोनों की फांसी की मांग वैसे ही उठी थी जैसे देश में निर्भया के दोषियों की उठी थी। 18 सितंबर 1978 को दोनों को एक ट्रेन से गिरफ्तार किया। 31 जनवरी 1982 को दोनों को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। लेकिन फांसी के 2 घंटे के बाद भी रंगा के प्राण नहीं निकले जिसके बाद रंगा के फंदे को नीचे से खींचा गया तब उसकी मौत हुई। मेडिकल साइंस का कहना है कि ऐसा तभी हो सकता है जब किसी के शरीर का वजन कम हो या फिर वो सांस रोकने में सक्षम हो।