संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बढ़ाया देशवासियों का हौंसला, कहा- तीसरी लहर से भी हम जीतेंगे
वीडियो डेस्क। हम जीतेंगे: पाजिटिविटी अनलिमिटेड' के तहत पांच दिवसीय व्याख्यानमाला के अंतिम दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने देश का संबोधित किया। उन्होंने कहा कि समाज की जो भी आवश्यकता है संघ के स्वयंसेवक पूर्ति में लगे हैं। अब जो परिस्थिति है उसमें खुद को सुरक्षित रखना है। सब कुछ ठीक है ऐसा नहीं कह रहे हैं। परिस्थिति कठिन है निराश करने वाली है, लेकिन नकारात्मक नहीं होना है मन को नकारात्मक नहीं रखना है।सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि मन की दृृ़ढता सामूहिकता से काम करने और सत्य की पहचान करते हुुए काम करने की बात पूर्व के वक्ताओं ने की है। मुख्य बात मन की है। मन अगर थक गया। जैसे सांप के सामने चूहा अपने बचाव के लिए कुछ नहीं करता, ऐसी स्थिति होनी है। ऐसा नहीं होने देना है। विकृति के बीच संस्कृति की बात सामने आ रही है। निराशा की नहीं लड़ने की परिस्थिति है।
वीडियो डेस्क। हम जीतेंगे: पाजिटिविटी अनलिमिटेड' के तहत पांच दिवसीय व्याख्यानमाला के अंतिम दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने देश का संबोधित किया। उन्होंने कहा कि समाज की जो भी आवश्यकता है संघ के स्वयंसेवक पूर्ति में लगे हैं। अब जो परिस्थिति है उसमें खुद को सुरक्षित रखना है। सब कुछ ठीक है ऐसा नहीं कह रहे हैं। परिस्थिति कठिन है निराश करने वाली है, लेकिन नकारात्मक नहीं होना है मन को नकारात्मक नहीं रखना है।सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि मन की दृृ़ढता सामूहिकता से काम करने और सत्य की पहचान करते हुुए काम करने की बात पूर्व के वक्ताओं ने की है। मुख्य बात मन की है। मन अगर थक गया। जैसे सांप के सामने चूहा अपने बचाव के लिए कुछ नहीं करता, ऐसी स्थिति होनी है। ऐसा नहीं होने देना है। विकृति के बीच संस्कृति की बात सामने आ रही है। निराशा की नहीं लड़ने की परिस्थिति है।