नोटबंदी के तीन साल पूरे, देखिए क्या कहता है सर्वे
नोटबंदी के तीन साल पूरे होने की पूर्व संध्या पर लोकलसर्किल्स LocalCircles ने एक सर्वे करवाया, जिसमें पूरे देश से 50,000 लोगों ने भाग लिया।
नई दिल्ली. 8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। उस समय सरकार को इस बात का पूरा भरोसा था कि इसका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर होगा।
लेकिन एक सर्वे में नोटबंदी लागू हुए तीन साल बीत जाने के बाद लोगों ने इसे लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी हैं। नोटबंदी के तीन साल पूरे होने की पूर्व संध्या पर लोकलसर्किल्स LocalCircles ने एक सर्वे करवाया, जिसमें पूरे देश से 50,000 लोगों ने भाग लिया।
सर्वे में शामिल 28 फीसदी लोगों ने कहा कि नोटबंदी का कुछ नकारात्मक असर पड़ा है। वहीं, दूसरी ओर करीब 32 फीसदी लोगों का कहना था कि नोटबंदी से अंसगठित क्षेत्र के श्रमिकों को नुकसान हुआ है।
सर्वे में शामिल 42 फीसदी लोगों ने कहा कि नोटबंदी से बड़ी संख्या में टैक्स चुराने वालों से टैक्स वसूलना संभव हुआ, वहीं 21 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नोटबंदी से काले धन में कमी आई। सर्वे में शामिल 12 प्रतिशत लोगों का कहना था कि इससे प्रत्यक्ष कर संग्रह में बढ़ोत्तरी हुई।
8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी लागू होने के बाद प्रचलन में रहे 15.31 लाख करोड़ रुपए मूल्य के 500 और 1,000 रुपए के नोट बैंकिंग प्राणाली में वापस आ गए। ये कुल बंद किए गए नोटों का 99.3 प्रतिशत था। सिर्फ 10,720 करोड़ रुपए की जमा मुद्रा बैंकिंग प्रणाली में वापस नहीं आई।
नोटबंदी के बाद पुराने रद्दी नोटों को बैंकों में जमा करने की अनुमति दी गई थी। इसके साथ ही असामान्य तौर पर जमा राशि की जांच आयकर विभाग ने की।