कई बड़े खर्चे के लिए बैंक से लोन लेना पड़ता है। लोन लेते समय ध्यान रखें कि कितनी सैलरी लोन में जाएगी और कितना रोजमर्रा की जरूरतों में लगेगा।
मंथली इनकम का अधिकतम 35-40% लोन की EMI में और 60% रहने-खाने, रोजमर्रा के खर्चे, इनवेस्टमेंट और इमरजेंसी फंड में जाना चाहिए।
अगर आपकी कमाई एक लाख रुपए है तो लोन की EMI में 40 हजार तक जाना चाहिए। 60 हजार में दूसरे खर्चों और सेविंग्स हो जाएं।
अगर आने वाले समय में सैलरी बढ़े और आप ज्यादा EMI चुकाने के काबिल हो जाए तो भी EMI एक लिमिट में ही रखनी चाहिए। बाकी पैसों को सेव करें।
लिमिट में ईएमआई चुकाने के बाद जो छोटी-छोटी सेविंग्स हो, उसे बचाकर रखें। अगर नौकरी छूट जाती है तो इस स्थिति में आप पर लोन का दबाव नहीं आएगा।
जब भी लोन लें तो सबसे पहले अपनी स्टेबल इनकम को ही ध्यान में रखें। दूसरे सोर्सेस से होने वाली एक्स्ट्रा कमाई को लोन में शामिल न करें।
लोन लेते समय इस बात का भी ध्यान रखें कि आने वाले समय में EMI बढ़ भी सकती है। इसके लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए।