बिहार जाति आधारित गणना के मुताबिक, राज्य में 82% हिंदू, 17.7 फीसदी मुस्लिम, 0.05 प्रतिशत ईसाई और 0.08 फीसदी बौद्ध हैं। राज्य में कुल 825 ट्रांसजेंडर हैं।
बिहार में जातिगत जनगणना में पहले चरण में घरों की गिनती हुई। पटना के वीआईपी इलाकों से इसकी शुरुआत हुई। सभी मकानों को स्थायी नंबर दिया गया था।
दूसरे चरण में जाति और आर्थिक आधार पर जनगणना की गई। इसमें शिक्षा का स्तर, नौकरी, गाड़ी, मोबाइल, स्किल, आय के साधन जैसे सवाल पूछे गए।
नौकरी के चलते लंबे समय से बिहार से बाहर रह रहे लोगों से टेलीफोन से बातचीत किया गया। उनके मकान पर भी संख्या लिखी गई।
जनगणना की प्रक्रिया के दूसरे चरण में लोगों को जाति पूछा गया। परिवारों के मुखिया का नाम भी दर्ज किया गया। परिवार को परिवारिक नंबर मकान संख्या भी दिया गया।
जातीय और आर्थिक जनगणना कराने की जिम्मेदारी बिहार के सामान्य प्रशासन विभाग को मिली थी। जिला स्तर पर डीएम इसके नोडल पदाधिकारी नियुक्त किए गए थे।
बिहार में जातिगत जनगणना की पूरी प्रक्रिया में एक अनुमान के मुताबिक, 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुए हैं।