कनाडा में बसने वाले पहले सिख ब्रिटिश इंडिया आर्मी के रिसालदार मेजर केसर सिंह हैं। केसर सिंह उस ग्रुप का हिस्सा थे, जो 1897 में क्वीन विक्टोरिया की गोल्डन जुबली मनाने कनाडा गया था।
वहां से लौटने के बाद केसर सिंह ने भारत में कनाडा का गुणगान किया और वहां की शानदार जगहों और अवसरों के बारे में बताया। इसके बाद 1897 में कुछ और सिख कनाडा गए।
इस तरह 1908 तक कनाडा में भारत से पहुंचे सिखों की आबादी करीब 2 हजार तक पहुंची। इसी साल सिखों ने यहां पहला नगर कीर्तन आयोजित किया।
बाद में धीरे-धीरे ब्रिटिश कोलंबिया के मेयर ने चुनावों में सिखों को वोटिंग का अधिकार दे दिया। महिंदर सिंह पहले सिख थे, जिन्होंने कनाडा में वोट डाला।
इसके बाद 1947 में नेशनल इलेक्शन में भी सिखों को वोटिंग राइट्स मिल गया। साथ ही 65 साल से ज्यादा की उम्र वाले पेरेंट्स को कनाडा लाने की छूट भी मिल गई।
1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद सिख बड़ी संख्या में कनाडा पहुंचे। 1962 में कनाडा की सरकार ने अप्रवासी एक्ट से सभी तरह की पाबंदियों को हटा लिया।
इसके बाद तो सिखों के लिए कनाडा में बसना और आसान हो गया। 2021 की जनगणना के मुताबिक, कनाडा में 18.6 लाख भारतीय मूल के लोग हैं।
कनाडा में सिखों की आबादी 7.8 लाख है। भारत के बाद सिखों की सबसे ज्यादा आबादी कनाडा में ही है। कनाडा की संसद में फिलहाल 15 सिख सांसद हैं।
वर्तमान में कनाडा की जस्टिन ट्रुडो सरकार NDP नेता जगमीत सिंह के समर्थन से चल रही है। जगमीत सिंह खुद खालिस्तान समर्थक है। यही वजह है कि जस्टिन ट्रुडो चुप्पी साधे हुए हैं।