आईपीओ में पैसे लगाकर आप सीधे कंपनी से सौदा करते हैं। इसमें स्टॉक एक्सचेंज का रोल नहीं होता है। वहीं, IPO या FPO में रिटेल इंवेस्टर्स डायरेक्ट कंपनी से शेयर खरीद सकते हैं।
अगर कोई निवेशक स्टॉक मार्केट में पैसा लगाता है तो इसका मतलब वह स्टॉक एक्सचेंज से लेनदेन कर रहा होता है। यहां कंपनी का सीधे तौर पर किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होता है।
IPO का लक्ष्य पब्लिक इवेस्टमेंट से कैपिटल जुटाना होता है। शेयर मार्केट से कंपनियों का लक्ष्य लगातार फंड जुटाना है, जिससे कंपनी को आगे बढ़ाया जा सके।
आईपीओ में कीमत करीब-करीब फिक्स होती है। अधिकतर बार एक प्राइस रेंज कंपनियां फिक्स कर देती हैं। वहीं, स्टॉक मार्केट में शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रहता है।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, IPO से ज्यादा मुनाफा कमाकर पाने की क्षमता होती है। जबकि शेयर मार्केट का मुनाफा उसकी तुलना में कम होता है।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि आईपीओ में रिस्क FPO की तुलना में ज्यादा होता है। जबकि स्टॉक मार्केट में जोखिम आईपीओ से भी कहीं ज्यादा होता है।