ग्रेच्युटी (Gratuity) वो रकम होती है, जो एम्प्लॉई को Employer यानी कंपनी देती है। इसके लिए कम से कम 5 साल तक नौकरी करना जरूरी है।
5 साल की नौकरी करने के बाद उसे छोड़ने या रिटायर होने पर ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। किसी वजह से मौत या एक्सीडेंट होने पर कर्मचारी या नॉमिनी को ग्रेच्युटी मिलती है।
कुल ग्रेच्युटी = अंतिम सैलरी x 15/26 x कंपनी में कितने साल तक काम किया।
मान लीजिए किसी कंपनी में 6 साल तक नौकरी की। आपकी अंतिम सैलरी बेसिक और महंगाई भत्ता मिलाकर 30,000 रुपए है तो 30,000 x 15/26 x 6= 1,03,846 रुपए ग्रेच्युटी होगी।
ग्रेच्युटी कैलकुलेशन 1 साल में 15 दिन के आधार पर होता है। महीने के 26 दिन ही काउंट में आते हैं, क्योंकि 4 दिन छुट्टी मानी जाती है। इसमें 6 महीने से ज्यादा काम 1 साल माना जाता है।
ग्रेच्युटी दो कैटेगरी में तय होती है। पहली- जो कर्मचारी पेमेंट एक्ट 1972 के दायरे में आते हैं। दूसरी- जो इस दायरे में नहीं आती हैं। सरकारी-प्राइवेट दोनों कर्मचारी इसमें आते हैं।