पिछले 5 कारोबारी दिनों में सेंसेक्स 4,100 अंकों से ज्यादा टूट चुका है। निफ्टी में 1,200 से ज्यादा अंकों की गिरावट आई है। निवेशकों के 16 लाख करोड़ से ज्यादा डूब गए हैं।
जून 2022 के बाद शेयर बाजार में ये सबसे बड़ी वीकली गिरावट है। इसका कारण ईरान-इजराइल तनाव, चीन की इकोनॉमी बूस्ट करने के उपाय के प्रयास हैं।
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगले हफ्ते भी शेयर बाजार में गिरावट जारी रह सकती है। इजराइल—ईरान टेंशन, चीन, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और कुछ फैक्टर दबाव बना सकते हैं।
ईरान-इजराइल की टेंशन अभी कम नहीं हुई है। अगर तनाव युद्ध में बदलता है तो मिडिल ईस्ट ही नहीं दुनिया में इसका बड़ा असर होगा। शेयर बाजार भी इससे अछूते नहीं रहेंगे और गिरावट आ सकती है।
चीनी सरकार ने इकोनॉमी बूस्ट करने और शेयर बाजार में तेजी के लिए बैंकों को 140 बिलियन डॉलर इंसेंटिव, होम लोन सस्ते किए हैं। इससे विदेशी निवेशकों का रूख चीन की ओर बढ़ा है।
विदेशी निवेशकों ने भारत के शेयर मार्केट में बिकवाली शुरू की है। शुक्रवार को करीब 9900 करोड़ रु निकाले, पिछले 1 हफ्ते में 37,000 करोड़ से ज्यादा निकाले हैं, ये चीन की ओर जा सकते हैं
सोमवार से RBI मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक शुरू हो रही है, जो 9 अक्टूबर तक चलेगी। एक बार फिर से ब्याज दरों को फ्रीज रखे जाने का अनुमान है, ऐसा हुआ तो असर शेयर बाजार पर दिख सकता है।
अगले हफ्ते विधानसभा चुनावों के नतीजे आएंगे, जिनका असर शेयर बाजार पर दिख सकता है। खासकर हरियाणा चुनाव का। अगर नतीजे बीजेपी के पक्ष में नहीं आए तो बाजार में बड़ी गिरावट आ सकती है।
शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है। निवेश से पहले अपने मार्केट एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।