इतिहास में महिलाओं के खिलाफ कई भयावह सजाएं लागू की गईं, जिनका उद्देश्य उन्हें डराना, पितृसत्ता को बनाए रखना था। ये सजाएं न केवल शारीरिक थीं, बल्कि मानसिक-सामाजिक अपमान से भरी थीं।
समाज ने इन दर्दनाक सजाओं के माध्यम से महिलाओं की आवाज को दबाने, उन्हें सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करने और उनकी स्वतंत्रता को नियंत्रित करने की कोशिश की।
16वीं शदी में इंग्लैंड में बोलने वाली महिलाओं को स्कोल्ड्स ब्रिडल पहनाया जाता था, जिसमें नुकीला गाग होता था जो जीभ को छेद देता था। यह सजा से उन्हें चुप और अपमानित किया जाता था।
श्रूज फिडल एक लकड़ी का ढांचा था, जिसमें महिला की कलाई और सिर को बंद कर दिया जाता था। यह सजा जर्मनी,ऑस्ट्रिया में उन महिलाओं के लिए थी जो समाज की परंपराओं के खिलाफ जाती थीं।
15वीं-18वीं शताब्दी में चुड़ैल होने के शक में महिलाओं को क्रूर यातनाएं दी जाती थीं और उन्हें जिंदा जला दिया जाता था। यह सजा महिलाओं को डराने और पितृसत्ता को मजबूती देने के लिए थी।
ककिंग स्टूल एक लकड़ी की कुर्सी थी, जिसमें महिला को बांधकर सड़कों पर घुमाया जाता था। इस सजा का मकसद महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपमानित करना और उन्हें शर्मिंदा करना था।
डकिंग स्टूल ककिंग स्टूल का क्रूर रूप था, जिसमें महिला को बार-बार पानी में डुबोया जाता था। यह सजा अपमानजनक और जानलेवा थी, जिसका उद्देश्य महिलाओं को चुप कराना, भय पैदा करना था।
इन सजाओं का मकसद केवल कानून का पालन कराना नहीं था, बल्कि महिलाओं को हमेशा पुरुषों के अधीन रखना था। ताकि वे कभी भी अपने अधिकारों के लिए खड़ी न हो सकें।