कोहिनूर हीरा, जिसे इतिहास के सबसे प्रसिद्ध हीरों में से एक माना जाता है, की कहानी सदियों पुरानी है।
यह हीरा न केवल अपनी चमक-दमक के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके पीछे छिपी हुई ऐतिहासिक घटनाएं भी इसे और दिलचस्प बनाती हैं।
कोहिनूर हीरा करीब 800 साल पहले आंध्र प्रदेश के गुंटूर में कोल्लूर खदान से निकला था।
कोहिनूर हीरा का वजन 186 कैरेट है और इसे उस समय का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था।
कोहिनूर हीरा काकातिया वंश के शासकों का था, जिन्होंने इसे अपनी देवी भद्रकाली की बाईं आंख में सजाया था।
14वीं शताब्दी में अलाउद्दीन खिलजी ने काकातिया राजाओं पर हमला किया और इस अनमोल कोहिनूर हीरे को छीन लिया।
आज कोहिनूर हीरा ब्रिटिश क्राउन ज्वेल्स का हिस्सा है।
कोहिनूर हीरा को पूरी दुनिया में ऐश्वर्य और इतिहास का प्रतीक माना जाता है।
कोहिनूर हीरा के इतिहास की घटनाएं केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह उपनिवेशीकरण और साम्राज्य के युग को दर्शाती हैं।