रतन टाटा, वह बिजनेसमैन जिन्हें भारत के सबसे पुराने बिजनेस ग्रुप में से एक विरासत में मिला जिसे उन्होंने वैश्विक साम्राज्य में बदल दिया। रतन टाटा के जीवन की 10 बड़ी बातें जानें।
रतन टाटा ने 1991 से 2012 तक टाटा संस के चेयरमैन के रूप में सेवा की और 2016 में कुछ समय के लिए फिर से अंतरिम चेयरमैन बने।
उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने 100 से अधिक देशों में अपने ऑपरेशन्स को फैलाया और मार्च 2024 तक $165 बिलियन का राजस्व हासिल किया।
अपने लीडरशिप में रतन टाटा ने ब्रिटिश स्टील निर्माता कोरस (2007) और लक्जरी कार निर्माता जगुआर लैंड रोवर (2008) जैसे बड़े अधिग्रहणों का नेतृत्व किया।
रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से 1962 में आर्किटेक्चर की पढ़ाई की, जबकि पहले वे अपने पिता की इच्छा अनुसार मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे।
रतन टाटा की परोपकार के प्रति गहरी निष्ठा थी। उनके निधन से टाटा ट्रस्ट्स में नेतृत्व की कमी आ गई है, जो टाटा संस के लगभग 66% हिस्से को नियंत्रित करता है।
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। उनके माता-पिता का तलाक तब हुआ जब वे 10 साल के थे, इसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी दादी ने किया।
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने भारत का पहला सुपरऐप टाटा न्यू लॉन्च किया और सॉफ्टवेयर से लेकर स्पोर्ट्स कार तक के व्यापार में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया।
2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान टाटा समूह को बड़ा संकट झेलना पड़ा, जिसमें मुंबई के ताज महल पैलेस होटल को निशाना बनाया गया था, जो टाटा समूह का प्रमुख होटल है।
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने 2021 में एयर इंडिया को पुनः प्राप्त किया, जो लगभग 90 साल पहले राष्ट्रीयकृत होने के बाद वापस टाटा ग्रुप में आया।
रतन टाटा ने शादी नहीं की और उनकी कोई संतान नहीं थी। उनके निधन के बाद टाटा ग्रुप के उत्तराधिकारियों को लेकर चर्चा तेज है जिसमें माया टाटा, लिया टाटा और नेविल टाटा का नाम आगे है।