भारतीय राष्ट्रीय गान "जन गण मन" के लेखक रवींद्रनाथ ठाकुर हैं, जिन्हें आमतौर पर रवींद्रनाथ ठाकुर के नाम से जाना जाता है।
रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई 1861 को काठीपुर, बंगाल (अब पश्चिम बंगाल, भारत) में हुआ था। वे एक प्रसिद्ध कवि, लेखक, दार्शनिक, और संगीतकार थे।
"जन गण मन" को रवींद्रनाथ ठाकुर ने 1911 में लिखा था। यह गान बांग्ला काव्य संग्रह "गीतांजलि" में शामिल है, जिसे 1912 में प्रकाशित किया गया था।
रवींद्रनाथ ठाकुर ने ही राष्ट्रीय गान को संगीतबद्ध भी किया था। इसका संगीत विशेष रूप से भारतीय संस्कृति और परंपरा को दर्शाता है।
"जन गण मन" को 1950 में भारतीय राष्ट्रीय गान के रूप में अपनाया गया। भारतीय संविधान के अनुसार, यह गान भारतीय संघ की विविधता और एकता का प्रतीक है।
इस गान का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों को एकता, सामंजस्य और देशभक्ति की भावना को जागरूक करना है। इसमें भारत की विविध सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान को दर्शाया गया है।
"जन गण मन" गान का पूर्ण संस्करण 52 सेकंड का होता है। इसके संक्षिप्त संस्करण का उपयोग सरकारी और सार्वजनिक आयोजनों में किया जाता है।
"जन गण मन" मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया था। इसके हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किए गए हैं, ताकि इसे व्यापक रूप से समझा जा सके।
रवींद्रनाथ ठाकुर को 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला था। वे पहले भारतीय थे जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ।
भारतीय राष्ट्रीय गान का सम्मान और महत्व संविधान द्वारा निर्धारित किया गया है और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की भावना को दर्शाता है।