70-80 के दशक की बात करें तो बॉलीवुड पर कुछ हीरोज का कब्जा था। उन्हीं में एक एक्टर थे विनोद खन्ना। विनोद खन्ना ने अपनी दमदार एक्टिंग से बॉक्स ऑफिस पर गदर कर रखा था।
एक वक्त ऐसा था जब विनोद खन्ना, अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र को कड़ी टक्कर देते थे। उनकी गिनती सबसे हिट स्टार्स में होने लगी थी। उनकी फिल्में अच्छी कमाई कर रही थी।
बॉक्स ऑपिस पर राज करने वाले विनोद खन्ना ने अपने करियर के पीक पर सन्यासी बनने का फैसला किया और सबकुछ छोड़कर ओशो के आश्रम चले गए।
1982 में विनोद खन्ना के सन्यासी बनने के फैसले ने उनका करियर, घर-परिवार सब बर्बाद कर दिया। कहा जाता है कि अगर वे सन्यासी नहीं बनते तो वे अमिताभ बच्चन से भी बड़े स्टार होते।
विनोद खन्ना करीब 4 साल ओशो के आश्रम में रहे। वे वहां माली का काम करते थे। 1986 में आपस आए और उन्होंने दोबारा फिल्मों में काम करना शुरू किया। कमबैक कर विनोद खन्ना ने हिट फिल्में दी।
विनोद खन्ना ने दोबारा फिल्मों में काम किया और इस दौरान वह वॉन्टेड, दबंग, दिलवाले, चांदनी, दयावान जैसी फिल्मों में नजर आए।
विनोद खन्ना को कैंसर का पता चला। जब कैंसर से पीड़ित विनोद खन्ना की पहली फोटो सामने आई थी तो सभी चौंक गए थे। 27 अप्रैल 2017 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
विनोद खन्ना ने 1968 में मन का मीत से डेब्यू किया था। उन्होंने रखवाला, मेरा गांव मेरा देश, कच्चे धागे, हाथ की सफाई, हेरा फेरी, खून पसीना, परवरिश, कुर्बानी जैसी फिल्मों में काम था।