नवरात्रि के व्रत के बाद सबसे अहम परंपरा कन्या पूजन होती है। अष्टमी या नवमी के दिन, लोग छोटी कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराते हैं और उनका पूजन करते हैं।
नवरात्रि में कन्या पूजन की यह परंपरा मां दुर्गा को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद को पाने के लिए की जाती है।
जब कन्याएं घर आएं, तो सबसे पहले उनके पैर धोकर आदरपूर्वक बैठाएं। माथे पर रोली और अक्षत का तिलक लगाकर उनका सम्मान करें।
कन्याओं को पूरी, हलवा, चना, नारियल आदि खिलाएं। भोजन के बाद दक्षिणा, उपहार और मां दुर्गा की चुनरी देकर उनका आशीर्वाद लें।
अंत में कन्याओं को आदरपूर्वक विदा करें और उनके चरण स्पर्श करें।
कन्या पूजन में चाकू-कैंची जैसे नुकीले सामान गिफ्ट न करें। काले कपड़े, रुमाल या कोई अशुभ चीज न दें। भोजन में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल न करें। कन्याओं के जाते ही झाड़ू-पोंछा न लगाएं।
नवरात्रि कन्या पूजन में कन्याओं को स्टील या प्लास्टिक की जगह, कॉपी-किताब, पेन-पेंसिल, टिफिन बॉक्स, खिलौने, मिठाई, फल या कोई शुभ चीज गिफ्ट करें।
कन्या पूजन सिर्फ एक परंपरा नहीं बल्कि शक्ति स्वरूपा कन्याओं का सम्मान करने का एक तरीका है। सही विधि से पूजन करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।