इस बार धनतेरस 10 नवंबर और दिवाली 12 नवंबर को है। दिवाली से जुड़ी कईं मान्यता है। उनमें से एक मान्यता ये भी है कि इसी दिन श्रीराम रावण का वध कर अयोध्या लौटे थे।
श्रीराम कार्तिक अमावस्या पर अयोध्या लौटे थे। इसके पहले के दो दिन यानी धनतेरस व नरक चतुर्दशी पर वे कहां थे? इसके बारे में भी ग्रंथों में बताया गया है। जानिए उन स्थानों के बारे में…
जब श्रीराम पुष्पक विमान पर बैठकर अयोध्या के लिए निकले तो उस दिन कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी यानी धनतेरस थी। श्रीराम के साथ देवी सीता, लक्ष्मण, हनुमान, सुग्रीव और विभीषण भी थे।
श्रीराम ने जब देवी सीता को किष्किंधा के बारे में बताया तो उन्होंने सुग्रीव आदि वानरों की पत्नियों से मिलने की इच्छा प्रकट की। इस तरह श्रीराम धनतेरस की रात किष्किंधा में रूके थे।
कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी यानी नरक चतुर्दशी पर श्रीराम पुन: अयोध्या के लिए निकले। रास्ते में महर्षि भरद्वाज का आश्रम देख श्रीराम वहां ठहरे। मुनि के कहने पर श्रीराम रात वहीं रुक गए।
कार्तिक अमावस्या की सुबह भरत, शत्रुघ्न आदि सभी नंदीग्राम में आकर श्रीराम की प्रतिक्षा करने लगे। यहीं पर श्रीराम और भरत का मिलाप हुआ। यहीं से श्रीराम ने अयोध्या में प्रवेश किया।