छठ पर्व की शुरूआत 17 नवंबर, शुक्रवार से हो चुका है। 18 नवंबर, शनिवार को खरना व्रत किया जाएगा। खरना व्रत में कईं बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। जानें इन नियमों के बारे में…
खरना के दिन सुबह व्रती (व्रत करने वाले) सात्विक भोजन करें और शाम को स्नान करने के बाद खरना का प्रसाद तैयार करें। इसमें चावल, गुड़ और दूध की खीर विशेष रूप से बनाएं।
इस भोग का प्रसाद छठी मैया को केले के पत्ते पर रखकर चढ़ाएं। माता को दीपक भी लगाएं। इसके बाद स्वयं ये भोग खाएं और अगले 36 घंटों तक शांत मन से व्रत के नियमों का पालन करें।
मान्यता है कि खरना का प्रसाद खाते समय अगर व्रतधारी के कान में कोई आवाज चली जाती हैं तो वो खाना छोड़ देती हैं। प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतधारी 36 घंटे की निर्जला व्रत करती हैं।
जो महिलाएं व्रत करती हैं, लोग उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं और जिसके घर छठ नहीं होता है वो भी प्रसाद खाने व्रती के घर पहुंचते हैं। इसलिए इस प्रसाद का महाप्रसाद कहा जाता है।
खरना के प्रसाद का किसी भी तरह अपमान न करें। इसे गाय को खिला सकते हैं और आस-पास के लोगों को भी बांट सकते हैं। व्रत शुरू होने के बाद व्रती को आराम करना चाहिए।