आईपीएल में सेंट्रल रेवेन्यू ही इसकी कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा है। इसमें पहला मीडिया राइट्स और दूसरा टाइटल स्पॉन्सरशिप राइट्स है। जिससे BCCI और फ्रैंचाइजी को 70% प्रॉफिट मिलता है।
IPL में BCCI को मीडिया और डिजिटल राइट्स से भी पैसा आता है। इससे होने वाली कमाई का आधा हिस्सा बीसीसीआई और आधा हिस्सा सभी टीमों में बांटा जाता है।
2008 में IPL के पहले सीजन से 10 साल तक सोनी ने टीवी राइट्स 8,200 करोड़ में खरीदे थे। साल 2018-2023 तक मीडिया राइट्स स्टार इंडिया के पास थे और अब जियो सिनेमा के पास अधिकार हैं।
DLF आईपीएल, वीवो आईपीएल, टाटा आईपीएल… ये सभी टाइटल स्पोंसरशिप के उदाहरण हैं। पैसे देकर खुद का नाम आईपीएल से जोड़कर अपना ब्रांड प्रमोशन करना। इसके लिए बोली लगती है।
टाइटल स्पॉनसरशिप IPL की कमाई का दूसरा सबसे बड़ा सोर्स है। अभी टाटा IPL का टाइटल स्पॉन्सर है। Tata ग्रुप ने दो सीजन के लिए 670 करोड़ में राइट्स खरीदे हैं।
बीसीसीआई ने साल 2022-2023 में टाइटल स्पॉनसरशिप से कुल 1124 करोड़ की कमाई की थी। इसमें से आधा पैसा बीसीसीआई और आधा पैसा टीमों के बीच बांटा जाता है।
मैच के दौरान आने वाले ब्रेक यानी टीवी पर एडवरटाइजमेंट से भी खूब पैसा IPL में आता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, 10 सेकेंड के विज्ञापन स्लॉट की फीस 15 लाख रुपए के करीब होती है।
मैच के दौरान चलने वाले विज्ञापन से बीसीसीआई की कमाई का कुल 20 फीसदी हिस्सा आता है। इसके अलावा टीशर्ट, कैप हेलमेट, स्टंप, अंपायर के ड्रेस में बने लोगो से अच्छा-खासा पैसा आता है।
लोकल रिवेन्यू में लोकल स्पॉन्सरशिप और प्राइज मनी आती है। मैच की टिकट बेचकर हर साल प्रति मैच 5 करोड़ तक कमाई होती है। होम ग्राउंड पर मैच होने से फ्रेंचाइजी को 80% हिस्सा मिलता है।
आईपीएल में चैंपियनशिप प्राइज मनी से भी कमाई होती है। जिसका आधा हिस्सा टीम के प्लेयर्स और आधा कंपनी के पास जाता है।