हीरबाई को सिद्दी कम्युनिटी के बच्चों और महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने और एजुकेशन पहुंचाने के लिए ये अवार्ड मिला है
हीरबाई को अफसरों ने बताया था कि प्रोटोकॉल के तहत राष्ट्रपति को नहीं छूना है, लेकिन उनका मन नहीं माना
हीरबाई लोबी के घुटनों में दर्द रहता है, वे ठीक से चल-फिर नहीं सकतीं, फिर भी सक्रिय रहती हैं
पद्मश्री लेने के लिए जाते समय भी हीरबाई ने क्रीम-पाउडर नहीं लगाया था
जूनानगढ़ के नवाब ने उनके बाप-दादा को गुजर-बसर करने जमीनें दी थीं
हीरबाई जब पैदा हुईं, तो मां गुजर गईं, 12 साल की उम्र में पिता कैंसर से मर गए थे
हीरबाई की पोती नरगिस ग्रेजुएशन कर रही है, यह उनके ही प्रयासों का नतीजा है
हीरबाई 1995 में आगा खान फाउंडेशन से जुड़ीं और फिर उनकी यात्रा चल पड़ी