प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भोपल के दौरे पर हैं। वह देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती पर आयोजित प्रोग्राम में शामिल होंगे। पीएम के इस कार्यक्रम में 2 लाख महिलाएं शामिल होंगी।
अहिल्याबाई होलकर, 18वीं शताब्दी में, मालवा-मराठा साम्राज्य की रानी थीं। वह मल्हारराव होलकर की बहू और खण्डेराव की धर्मपत्नी थीं। वह भारत की सबसे दूरदर्शी महिला शासकों में से एक थीं।
31 मई 1725 को चौंडी गांव, महाराष्ट्र में जन्मीं अहिल्या के मनोकजी शिंदे की बेटी थीं जो कि एक साधारण किसान परिवार से थीं। जो कुशल शासन, सामाजिक सुधारों के लिए प्रसिद्ध हुईं।
बता दें कि अहिल्याबाई को शिवभक्ति के लिए भी जाना जाता है और वे शिव की अनन्य भक्त थीं। जिन्होंने अपना राज्य भगवान को समर्पित कर दिया था। सोमनाथ में शिवजी का मंदिर बनवाया था।
अहिल्याबाई के पति खांडेराव होलकर 1754 के कुम्भेर युद्ध में शहीद हुए थे। 12 साल बाद उनके ससुर मल्हार राव होलकर की भी मृत्यु हो गई। ऐसे में अहिल्याबाई ने मालवा साम्राज्य की रानी बनी।
अहिल्याबाई युद्ध के दौरान वह अपनी सेना में शामिल होकर युद्ध करती थीं। दुश्मनों को घुटने टेकने के लिए मजबूर करती थीं। तुकोजीराव होलकर उनकी सेना के सेनापति थे।
देवी अहिल्या ने ही महेश्वर को होल्कर राज्य की राजधानी बनाया था। जहां उन्होंने 18वीं सदी का बेहतरीन और आलीशान अहिल्या महल बनवाया था। वह रोजाना अपनी प्रजा से बातें करती थीं।
रानी अहिल्याबाई ने अपने साम्राज्य के दौरान महेश्वर और इंदौर में काफी विकास किया था। खासकर बहुत सारे मंदिरों का निर्माण भी कराया था। कई सड़क और धर्मशलाएं बनवाए गए थे।
महारानी अहिल्याबाई को न्याय की मूर्ति माना जाता था। बताया जाता है कि उन्होंने अपने ही बेटे मालोजीराव के लिए मौत की सजा सुनाई दी थी।