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क्यों आतंक के साये में है गोल्डन टेम्पल

1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद अमृतसर का गोल्डन टेम्पल फिर सुर्खियों में है। यहां तीन ब्लास्ट से दहशत है

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स्वर्ण मंदिर में बरसी थीं जब गोलियां

1984 में खालिस्तानी आतंकवादियों ने स्वर्ण मंदिर पर कब्जा जमा लिया था, तब इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया था

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ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद गोल्डन टेम्पल

6 जून, 1984 को भारतीय सेना ने खालिस्तानियों को खदेड़ने अकाल तख्त की दीवारें तक उड़ा दी थीं

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ऑपरेशन ब्लू स्टार और इंदिरा गांधी की हत्या

ऑपरेशन ब्लू स्टार से आहत होकर ही दो सिख अंगरक्षकों ने 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या कर दी थी

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गोल्डन टेम्पल के कई नाम

गोल्डन टेम्पल यानी श्री हरिमन्दिर साहिब सिख धर्मावलंबियों का प्रमुख गुरुद्वारा है, जिसे दरबार साहिब या स्वर्ण मन्दिर भी कहते हैं

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1588 में रखी थी स्वर्ण मंदिर की नींव

सिखों के चौथे गुरु रामदास जी ने लाहौर के एक सूफी संत मियां मीर से दिसम्बर, 1588 में इस गुरुद्वारे की नींव रखवाई थी।

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कई बार तोड़ा गया स्वर्ण मंदिर

अफगान हमलावरों ने 17वीं शताब्दी में इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया था। महाराज सरदार जस्सा सिंह अहलुवालिया ने इसे दुबारा बनवाया

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स्वर्ण मंदिर की खूबसूरती

इस गुरुद्वारे का नक्शा खुद गुरु अर्जुन देव जी ने तैयार किया था। गुरुद्वारा शिल्प सौंदर्य की अनूठी मिसाल है।इसकी नक्काशी अद्भुत है

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स्वर्ण मंदिर की खूबी और सरोवर

श्री हरिमन्दिर साहिब परिसर में दो बड़े और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं। यहां के जलाशय को अमृतसर, अमृत सरोवर और अमृत झील कहते हैं

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स्वर्ण मंदिर में बंद नहीं होता लंगर

श्री हरिमन्दिर साहि‍ब के 4 द्वार हैं। इनमें से एक द्वार गुरु राम दास सराय का है। यहां 24 घंटे लंगर चलता है

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